युवाओं को सही उम्र में जीवन साथी कैसे मिले?
युवा अवस्था में आते ही एक नयी दुनिया से आमना सामना होने लगता है और ऐसे उत्सुकता वश और अज्ञानता वश युवा गलत राहों पे चल पड़ते हैं | सवाल यह फितरती है की जब किसी युवा में सेक्स की इच्छा कुदरती तौर पे पैदा होने लगी तो उसी पूरा करने का भी कोई साधन होना चाहिए| अल्लाह ने औरत और मर्द के जोड़े बनाये और बालिग़ होते ही उनको आपस में शारीरिक सम्बन्ध बनाने की इजाज़त दे दी और इसके लिए कानून बनाये की कैसे शादी की जाए ?
अल्लाह ने इंसान को इच्छाएं दी और उन्हें पूरा करने का आसान सा शादी का रास्ता भी दिया |हमने अपने सामाजिक तौर तरीकों और अपनी न मुकम्मल सोंच को शामिल कर के इस आसान से रास्ते को मुश्किल बना दिया और आज हाल यह है की एक युवा के दिल में १५-१६ वर्ष से सेक्स की इच्छा आने लगती है और १७-१८ के बाद तो इस्पे काबू करना मुश्किल होने लगता है |और तब शुरू होती है युवा का अपनी शारीरिक ज़रुरत सेक्स को काबू में रखने की जंग | कुछ इस पे काबू रख पते हैं ,कुछ हराम और बुरी आदतों जैसे हस्त मैथुन, समलिंगी सेक्स इत्यादि का शिकार हो जाते हैं |कुछ अनैतिक संबंधो के चक्कर में फँस जाते हैं और बहुतेरे बलात्कार जैसे पाप तक को अंजाम दे डालते हैं |
ऐसा नहीं की जवानी के दिनों में लगी इन बुरी आदतों का सिलसिला शादी के बाद रुक जाता है बल्कि यह एक बीमारी की तरफ शादी शुदा ज़िंदगी को भी बर्बाद कर जाता है | इन पापो का सिलसिला शादी के बाद केवल ३०% लोगों में ही रुक पता है बाकी बीमार बन के हस्त मैथुन, समलिंगी सेक्स और अनैतिक संबंधो के जाल से नहीं निकल पाते और इन्हें इलाज की आवश्यकता पड़ने लगती है |
सेक्स की इच्छा शुरू होती है १५-१६ वर्ष से और शादी आज के सामाजिक बन्धनों के कारन २५-३० वर्ष के बीच होती है और यह १० से १५ वर्ष युवा को बीमार बना जाते हैं और ऐसे गुनाहों में डाल देते हैं जिनका बोझ वो युवा जीवन भर लिए घूमता और अल्लाह से तौबा करता रहता है |
याद रहे ऐसे युवा जिनकी शादी सही उम्र में नहीं हो पाती और गुनाहों में पड़ जाते हैं उसके गुनाहगार उनके माता पिता भी होते हैं और अल्लाह के यहाँ उनको भी जवाब देना होगा |