नहजुल बलाग़ा में हज़रत अली के विचार
हज़रत अली अलैहिस्सलाम समस्त मानवीय सदगुणों में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम का आइना थे। हज़रत अली अलैहिस्सलाम एसी महान हस्ती थे जिसके बारे में पैग़म्बरे इस्लाम ने फरमाया है” अगर समस्त वृक्ष कलम बन जायें और समस्त समुद्र सियाही बन जायें और समस्त जिन्नात हिसाब करने वाले एवं समस्त मनुष्य लिखने वाले बन जायें तब भी अली बिन अबी तालिब की विशेषताओं की गणना नहीं कर सकते”
इस महान हस्ती के कथनों, पत्रों और भाषणों को एकत्रित करके उसे नहजुल बलाग़ा नामक पुस्तक का नाम दिया गया है। यह किताब इस दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है कि इसमें हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पत्रों, भाषणों और वाक्यों को एकत्रित किया गया है इस प्रकार से कि पवित्र कुरआन के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक मानी जाती है।
फसाहत और बलाग़त की दृष्टि से भी इस्लामी जगत के बहुत से विद्वानों ने इस पुस्तक पर ध्यान दिया है। इस किताब में एकेश्वरवाद, न्याय, रचना, उत्पत्ति, ईश्वरीय भय व सदाचारिता, सदाचारी, मोमिन और मुनाफिक़ अर्थात मिथ्याचारी व्यक्तियों की विशेषता, सामाजिक मामले,सरकारी दायित्व और पवित्र कुरआन की कुछ आयतों की व्याख्या वे विषय हैं जो इस किताब में मौजूद हैं। इसी प्रकार इस किताब में पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के सदगुण, परामर्श, प्रायश्चित, महान ईश्वर पर भरोसा, नैतिक व अनैतिक विशेषताएं आदि दूसरे सैकड़ों विषय इस किताब में हैं जो सुनने और पढ़ने वालों को बहुत प्रभावित करते हैं और विषयों की भिन्नता प्यासे लोगों को तृप्त करती है।
नहजुल बलाग़ा वह किताब है जो हज़रत अली अलैहिस्सलाम के उच्च विचारों के एक छोटे से भाग को बयान करती है। एक हज़ार वर्ष पूर्व हज़रत अली अलैहिस्सलाम के विचारों, कथनों और भाषणों को एकत्रित करके एक पुस्तक का रूप दिया गया और इस मूल्यवान पुस्तक का नाम नहजुल बलाग़ा रखा गया। यह वह किताब है जिसमें हज़रत अली अलैहिस्सलाम के मूल्यवान विचारों का एक प्रतिबिंबन है जिसे समय की प्राचीनता की धूल न तो पुराना कर सकी और न ही उसका वैभव कम हुआ और सब लोग हज़रत अली अलैहिस्सलाम के अथाह ज्ञान और तत्वदर्शिता के समक्ष नतमस्तक हैं यहां तक कि शत्रुओं और मित्रों दोनों ने इस किताब की प्रशंसा की है।
अलबत्ता यहां इस बात का उल्लेख आवश्यक है कि नहजुल बलाग़ा पुस्तक में हज़रत अली अलैहिस्सलाम के समस्त कथन, भाषण और पत्र नहीं हैं बल्कि इस किताब के संकलनकर्ता ने अपनी रूचि के अनुसार उनके कथनों, भाषणों और पत्रों को एकत्रित किया है।
नहजुल बलाग़ा किताब में मौजूद पद की शैली इतनी रोचक, अनुपम और मार्मिक है कि पवित्र कुरआन के बाद अरब जगत में साहित्य और भाषा की दृष्टि से वह अद्वतीय है। इसी कारण उसका नाम नहजुल बलाग़ा रखा गया है। नहज का अर्थ है वार्ता की पद्द्धि व शैली और बलीग़ उस व्यक्ति को कहा जाता है जो अच्छी शैली में बात करे, संबोधकों के हाल को ध्यान में रखे और समय व स्थान को भी दृष्टि में रखे और संबोधक को देखकर वार्ता को संक्षिप्त या विस्तृत करे। वास्तव में प्रभावी बात को कलामे बलीग़ कहा जाता है इस प्रकार से कि संबोंधक को अच्छी लगे और उसे प्रभावित करे। क्योंकि इस किताब में आध्यात्मिक, ग़ैर आध्यात्मिक, सुन्दर और उच्च अर्थ की दृष्टि से विषय अरबी भाषा में पद साहित्य की दृष्टि से अपने चरम शिखर पर हैं। पिछले लगभग हज़ार वर्षों से विद्वान, छात्र और ज्ञान के प्यासे लोग इस किताब से लाभ उठाते रहे हैं बहुत से लोग उसमें मौजूद भाषणों आदि को याद करते हैं इस प्रकार से कि अपनी बातों को सही सिद्ध करने के लिए नहजुल बलाग़ा का सहारा लेते और उसका हवाला देते हैं। बहुत से विद्वानों एवं अध्ययनकर्ताओं ने उसकी व्याख्या की है। इस समय इस किताब का अंग्रेजी, फार्सी, तुर्की, हिन्दी, उर्दू, फ्रेंच, जर्मन, इटली और स्पेनिश आदि भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
नहजुल बलाग़ा में मौजूद विषयों की विभिन्न पहलुओं से समीक्षा की जा सकती है। इस किताब में मौजूद विषयों की समीक्षा इस कार्यक्रम में नहीं की जा सकती परंतु संक्षेप में हम इस किताब की महत्वपूर्ण विशेषताओं की ओर संकेत करते हैं। नहजुल बलाग़ा किताब में मौजूद विषय इतने विस्तृत व भिन्न हैं मानो ठाठे मारता अथाह सागर है जिसमें हर प्रकार के मोती मौजूद हैं। शिष्टाचार, राजनीति, धर्मशास्त्र, अधिकार, जेहाद, परिज्ञान, एकेश्वरवाद, सरकार, प्रकृति आदि वे विषय हैं जिनकी इस मूल्यवान पुस्तक में चर्चा की गयी है।
नहजुल बलाग़ा किताब की एक अन्य विषेशता यह है कि इसमें फसाहत व बलाग़त के बारे में बात की गयी है।
नहजुल बलाग़ा किताब की जो विषय वस्तु है वह इस्लामी संस्कृति के आरंभिक काल की है और इसे वरिष्ठ धर्मगुरू अबुल हसन मोहम्मद बिन हुसैन ने एकत्रित किया था। अबुल हुसैन मोहम्मद बिन हुसैन को सैयद रज़ी और शरीफ रज़ी के नाम से जाता है और उन्होंने ४०० हिजरी कमरी में विभिन्न किताबों व स्रोतों से इसे एकत्रित किया था।
सैयद रज़ी ने इस किताब के तथ्यों को तीन भागों में विभाजित किया है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम के भाषण, पत्र और उनके संक्षिप्त वाक्य।
इस किताब में हज़रत अली अलैहिस्सलाम के जो भाषण हैं उनमें सृष्टि के रचयिता, मनुष्य, जानवर, मनुष्य को पैदा करने का उद्देश्य, महान ईश्वर का ज्ञान, ईश्वरीय दूतों के भेजे जाने का उद्देश्य, लोक परलोक और प्रलय आदि के बारे में वार्ता की गयी है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने नहजुल बलाग़ा में आर्थिक मामलों के बारे में भी बात की है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने ज़मीनों को आबाद करने, और धन सम्पत्ति के बारे भी बात की है। इसी प्रकार आपने राजकोष, सामाजिक न्याय, निर्धनता को समाप्त करने, सरकार और समाज से संबंधित दायित्वों को बयान किया है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम अपने भाषणों के एक अन्य भाग को राजनीतिक एवं सरकारी मामलों व समस्याओं से विशेष करते हैं। हज़रत अली अलैहिस्सलाम इस संबंध में कर्मचारियों, गवर्नरों, राज्यपालों, सेना, सुरक्षा बलों, सेनापतियों और कर वसूली और देश के संचालन के तरीकों को बयान करते हैं।
नहजुल बलाग़ा के एक भाग में नैतिकता, शिष्टाचार और शिक्षा प्रशिक्षा से जुड़े मामलों को बयान किया गया है। इसी प्रकार नहजुल बलाग़ा में अमल के साथ ज्ञान अर्जित करने, सांसारिक वस्तुओं की उपेक्षा, स्वतंत्रता, अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने और जीवन के मामलों को नियमबद्ध बनाने पर बल दिया गया है। सामाजिक जीवन में भी जैसे अच्छे व्यवहार, लोगों से दोस्ती और उनके साथ न्याय करना वे बातें हैं जिनकी ओर नहजुल बलाग़ा में संकेत किया गया है। इसी प्रकार इस किताब में आध्यात्मिक एवं उपासना के मामलों पर भी ध्यान दिया गया है। जैसे रातों को जागकर उपासना करने वाले, उपासना के विभिन्न कारण व लाभ, महान ईश्वर के निकट उपासकों का स्थान और पापों से दूरी में उपासन के प्रभाव की ओर इस किताब में गम्भीर रूप से ध्यान दिया गया है।
इस बीच जिस चीज़ पर ध्यान दिया जाना चाहिये वह यह है कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम के समस्त भाषणों और कथनों का आधार न्याय है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम उन व्यक्तियों में से नहीं थे जो न्याय व सत्य की बात तो करते हैं परंतु अमल में न्याय नहीं करते। क्योंकि जबान से न्याय की बात करना बहुत सरल है किन्तु व्यवहार में न्याय पर अमल करना बहुत कठिन है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम सदैव अत्याचार व अन्याय का विरोध और अत्याचार ग्रस्त लोगों की सहायता करते थे। वह समाज के पीड़ित लोगों की आशा थे। वह ज़बान, कलम और तलवार सहित हर माध्यम से अत्याचारग्रस्त लोगों का साथ देते थे। दूसरे शब्दों में हज़रत अली अलैहिस्सलाम न्याय की प्रतिमूर्ति थे।
नहजुल बलाग़ा के एक भाग में वे पत्र हैं जिन्हें हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अपने मित्रों, शत्रुओं, निकट संबंधियों, गवर्नरों को सरकार से जुड़े मामलों के बारे में लिखा है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने जो पत्र गवर्नरों के नाम लिखे हैं उनमें लोगों की सेवा करने के सर्वोत्तम मार्गों को बयान किया है। इसी तरह इन पत्रों में समाज के निम्नतम व निर्धनतम वर्ग के साथ सम्मानजनक व्यवहार का उल्लेख किया गया है।
नहजुल बलाग़ा के तीसरे भाग में हज़रत अली अलैहिस्सलाम के छोटे छोटे वाक्य हैं जिनमें नसीहतें व उपदेश हैं और ये कलेमाते क़ेसार के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये छोटे छोटे वाक्य फसाहत, बलाग़त और अर्थों की दृष्टि से इतने गहरे हैं कि दोस्त दुश्मन सब पवित्र कुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों के बाद इन्हें मानवता का सबसे अच्छा मार्गदर्शक मानते हैं। इनमें से हर एक वाक्य में मानव जीवन के लिए पाठ है और उनमें जीवन के मूल्यवान रहस्य नीहित हैं।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की पूरिपूर्णताओं एवं सदगुणों से सम्पन्न महान हस्ती को समझने के लिए उनके कथनों और भाषणों को समझने से बेहतर व उत्तम कोई अन्य मार्ग नहीं है।