अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

अहकाम टाइम

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जो बर्तन कुत्ते, सुअर या मुर्दार (वह जानवर जिसकों धार्मिक रूप से ज़िब्ह न किया गया हो) के चमड़े से बनाये गये हों उनमें किसी चीज़ का खाना पीना जब्कि तरी उसकी निजासत का सबब बने तो हराम है। उस बर्तन को वुज़ू और ग़ुस्ल और इसी प्रकार के किसी भी दूसरे काम में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जिसे पाक चीज़ से अंजाम देना ज़रूरी हो, और एहतियाते मुस्तहेब यह है कि कुत्ते, सुअर और मुर्दार के चमड़े को बर्तनों के अलावा दूसरी चीज़ों में न भी हो इस्तेमाल न किया जाये।

सोने और चाँदी के बर्तनों में खाना पीना और एहतियाते वाजिब की बिना पर उनको दूसरे कामों में प्रयोग करना हराम है। लेकिन उनसे कमरा वग़ैरा सजाने या उन्हें अपने पास रखने में कोई आपत्ति नहीं है, जबकि बेहतर यह है कि इससे भी परहेज़ किया जाये। सजावट या अपने पास रखने के लिए सोने और चाँदी के बर्तन बनाने और उन्हे ख़रीदने व बेचने का भी यही हुक्म है।

अगर इस्तेकान (शीशे का छोटा सा गिलास जिसमें क़हवा पीते हैं) का कुंडा सोने या चाँदी से बना हुआ हो, तो अगर उसे बर्तन कहा जाये तो वह सोने, चाँदी के बर्तन के हुक्म में है और अगर बर्तन न कहा जाये तो उसके इस्तेमाल में कोई आपत्ति नहीं है।

जिन बर्तनों पर सोने या चाँदी की पालिश हो, उनके के इस्तेमाल में कोई आपत्ति नहीं है।

अगर जस्त (ज़िंक) को चाँदी या सोने में मिलाकर बर्तन बनाया जाये और जस्त इतनी अधिक मात्रा में हो कि उस बर्तन को सोने या चाँदी का बर्तन न कहा जाये तो उसके इस्तेमाल में कोई आपत्ति नहीं हैं।
मजबूरी की हालत में सोने चाँदी के बर्तनों में, इतना खाने पाने में कोई हरज नहीं जिससे भूक मिट जाये लेकिन उससे ज़्यादा खाना पीना जायज़ नहीं है।

जिसके बर्तन के बारे में यह मालूम न हो कि यह सोने, चाँदी से बना हुआ है या किसी और चीज़ से, तो उसको इस्तेमाल करने में कोई हरज नहीं है।

 

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