बनी हाशिम के पहले शहीद “हज़रत अली अकबर”
हज़रत अली अकबर (अ) की जीवनी के बारे में इतिहासकारों के बीच मतभेद पाया जाता है जैसे कुछ इतिहासकारों ने कर्बला के युद्ध के समय आपकी आयु 20 साल से कम तो कुछ ने 25, 27, या 29 साल बताई है, इसकी प्रकार आपकी माता के बारे में भी मदभेद पाया जाता है, कुछ ने आपकी माता का नाम आमेना, कुछ ने शहरबानो और कुछ ने लैला लिखा है।
आपकी कुन्नियत (उपनाम) अबुल हसन थी और आपका माता का नाम लैला था जो अबी मर्रा बिन मसूद सक़फ़ी की बेटी थीं।
इस लेख में हमारा प्रयत्न यह है कि हम अपने पाठकों के सामने पैग़म्बरे इस्लाम (स) की शबीह हज़रत अली अकबर (अ) की जीवनी को संक्षेप में बयान करें।
हज़रत अली अकबर (अ) का चेहरा मोहरा
आपका चेहरा बहुत ही नूरानी था, आपका माथा चौड़ा आपके बाल आपके कानों तक थे, यह आपके चेहरे का विवरण था लेकिन जैसा कि इस्लाम ने कहा है कि किसी भी इन्सान का महत्व उसके चेहरे के रंग नस्ल आदि से नहीं बल्कि उसके कर्मों और अख़लाक़ से है इसलिये हम भी इसके बारे में अधिक बात करने के बजाए आपके अख़लाक़ के बारे में बयान कर रहे हैं।
हज़रत अली अकबर (अ) के फ़ज़ाएल
कर्बला के मैदान में जब अली अकबर (अ) और हज़रत अब्बास (अ) आये हैं तो चूक़ि अली अक़बर (अ) पैग़म्बरे इस्लाम (स) से बहुत मेल खाते थे इसलिये उमरे साद की सेना वालों ने आपके चेहरे को देखा तो कहाः
فتبارک الله احسن الخالقین
वह समझे कि स्वंय पैग़म्बर (स) आ गये हैं, तो अली अक़बर (अ) ने कहाः
اناعلی بن الحسین بن علی
मैं हुसैन का बेटा अली हूँ,
उसके बाद आपने उन लोगों को नसीहत करना आरम्भ किया उनको इमाम हुसैन (अ) का महत्व समझाया उनके फ़ज़ाएल के बारे में बताया
अली अक़बर (अ) की फ़ज़ीलत के बारे में अगर केवल यह कहा जाए कि चूँकि आप इमाम हुसैन (अ) के बेटे और पैग़म्बर इस्लाम (स) की शबीह थे और यह आपकी फ़ज़ीलत है तो यह सही नहीं होगा क्यों कि अगर बाप मासूम हो तो यह बेटे के लिये फज़ीलत की बात नहीं हो सकती है वरना जाफ़रे कज़्ज़ाब जो कि इमाम हादी (अ) का बेटा था वह भी फ़ज़ीलत वाला होता लेकिन यह अकबर थे जो अगर वंशज के आधार पर एक मासूम के बेटे थे तो अपने व्यक्तिग गुणों के आधार पर अपने आप को उस चोटी पर पहुंचा दिया था कि कोई दूसरा उस स्थान तक नहीं पहुंच सकता है कभी भी आपने कोई हराम माल नहीं खाया और यही कारण है कि एक मासूम इमाम, इमाम हुसैन (अ) आपके बारे में फ़रमाते हैं:
اللهم اشهدعلی هولاءالقوم فقدبرزعلیهم غلام اشبه الناس خلقاوخلقاومنطقابرسولک
हे ईश्वर गवाह रहना इस क़ौम पर कि उनकी तरफ़ मैं उस बेटे को भेज रहा हूँ जो आदत और व्यवहार में तेरे नबी के जैसा है।
इमाम के इस कथन से हमें अली अकबर (अ) के महत्व औऱ उनकी फज़ीलत का अंदाज़ा होता है क्यों कि आपने अली अक़बर को पैग़म्बर के जैसा बताया है और हम सभी जानते हैं कि पैग़म्बर वह हैं जिन्होंने कभी ईश्वरीय आदेशों की अवहेलना नहीं की उनका व्यवहार वही था जो ईश्वरीय आदेश था इसीलिये आपके बारे में क़ुरआन में आया है
انک لعلی خلق عظیم
और जब अली अकबर (अ) पैग़म्बर (स) जैसे हैं तो इसका अर्थ यह है कि वह न केवल सूरत में बल्कि सीरत और व्यवहार में भी नबी के जैसे हैं जिस प्रकार क़ुरआन ने पैग़म्बर (स) के बारे में कहा कि है पैग़म्बर (स) आप व्यवहार की उच्चतम श्रेणी पर है उसी प्रकार इमाम हुसैन (अ) ने अली अकबर के बारे में फ़रमायाः
وکنااذاشفقناالی بنیک نظرناالی وجهه
हे ईश्वर जब भी हमारा दिल तेरे नबी के दीदार को चाहता था तो हम इसके चेहरे को देख लिया करते थे।
अली अकबर बनी हाशिम के पहले शहीद है, और आपसे इमाम हुसैन को इतना लगाव और प्यार था कि इतिहास गवाह है कि इमाम हुसैन ने कभी भी यज़ीद की सेना के लिये बद दुआ नहीं की लेकिन अली अकबर की शहादत के बाद आपने बद दुआ की और फ़रमायाः
قطع الله رحمک
हे ईश्वर उमरे साद की नस्ल को समाप्त कर दे, और यही हुआ भी कि उसकी नस्ल समाप्त हो गई
अली अकबर (अ) का मैदाने जंग में जाना
मक़तल की पुस्तकों में है कि अली अकबर (अ) बनी हाशिम के पहले शहीद है, जब दस मोहर्रम का सूर्य उगा है तो बनी हाशिम में से सबसे पहले अली अकबर (अ) अपने पिता इमाम हुसैन (अ) के पास आते हैं और आपसे रण भूमि में जाने की अनुमति मांगते हैं, इमाम हुसैन (अ) आपको अनुमति देते हैं और फ़रमाते हैं:
«اللهم كن انت الشهيد عليهم، فقد برز اليهم غلام اشبه الناس خلقا و خلقا و منطقا برسولك و كنا اذا اشفقنا الى نبيك نظرنا اليه» (1)
अली अकबर मैदान में आते हैं और सिंहनाद पढ़ते हैं
أنا عَلي بن الحسين بن عَلي نحن بيت الله آولي يا لنبيّ
أضربكَم با لسّيف حتّي يَنثني ضَربَ غُلامٍ هاشميّ عَلَويّ
وَ لا يَزالُ الْيَومَ اَحْمي عَن أبي تَاللهِ لا يَحكُمُ فينا ابنُ الدّعي
उसके बाद आप जंग करना शुरू करते हैं और शत्रु के 120 घुड़सवारों को नर्क पहुंचाते हैं लेकिन चूंकि तीन दिन से भूखे और प्यासे थे इसलिये प्यास और थकन हावी होने लगती है और आप वापस आते हैं और अपने पिता से कहते हैं:
«يا ابه! العطش قتلنى و ثقل الحديد اجهدنى»
बाबा प्यास मारे डाल रही है और यह लोहे का भारीपन परेशान कर रहा है।
इमाम हुसैन (अ) रोने लगते हैं और कहते हैं “प्यारे बेटे धैर्य रखो बहुत जल्द पैग़म्बरे इस्लाम (स) तुमको पानी पिलाएंगे जिसके बाद तुम कभी प्यासे नहीं होगे”
अकी अकबर वापस लौट जाते हैं जंग करना शुरू करते हैं लेकिन यज़ीद की सेना आपको हर तरफ़ से घेर लेती है, और एक सैनिक छिपकर आप पर भाले से वार करता है जो आपके सीने में लगता है और आप आवाज़ देते हैं:
يا ابتاه عليك منى السلام هذا جدى رسول الله يقرئك السلام و يقول عجل القدوم الينا.
हे बाबा आप पर मेरा सलाम, आप पर मेरे नाना पैग़म्बरे इस्लाम (स) सलाम भेज रहे हैं और फ़रमाते हैं: हमारी तरफ़ जल्दी आओ।
قد سقانى بكاسه الا وفى شربة لا ظما بعدها ابد
उन्होंने मुझे अपने जाम से सेराब कर दिया उसके बाद अब कभी मैं प्यासा नहीं होऊंगा। (2)
एक दूसरी रिवायत में हैं किः जब अली अकबर के हमले शत्रु के सेना में खलबली मचा रहे थे तो मर्रा बिन मुनक़ज़ अबदी ने कहाः मुझ पर अरबों का पाप हो कि अगर यह जवान इस हालत में वापस चला जाए और मैं इसके घाव इसके पिता के दिल पर न लगाऊँ, उसके बाद मर्रा बिन मुनक़ज़ अपने भाले के साथ एक स्थान पर छिप गया उसके बाद मर्रा ने आप पर भाला मारा और आप घोड़े से नीचे गिर गये उसके बाद शत्रुओं ने आपको घेर लिया और فقطعوه باسيافه अपनी तलवारों से आपके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिये।
इमाम हुसैन (अ) अली अकबर के सरहाने आते हैं और कहते हैं:
«قتل الله قوما قتلوك، يا بنى ما اجراهم على الرحمان و انتهاك حرمه الرسول»
ईश्वर इस कौम को मौत दे, हे मेरे बेटे यह क़ौम ख़ुदा और उसके रसूल के सम्मान को ठेस पहुंचाने में किस प्रकार गुस्ताख़ हो गई है।
इमाम की आँख़ों से आँसू जारी हो गये।
और यही वह समय था जब ज़ैनब ख़ैमे से निकलती हैं और आवाज़ देती हैः मेरे भाई, हे मेरे भाई के बेटे और आप अपने आपको अकी अकबर पर गिरा देती हैं
इमाम हुसैन ने बहन का सर उठाया और उनको ख़ैमे में चले जाने के कहा। (4)
समाधि
अली अकबर (अ) की समाधि अपने पिता इमाम हुसैन (अ) के पैरों के नीचे की तरफ़ कर्बला में है और कुछ लोगों ने इमाम हुसैन (अ) की ज़रीह के छः कोने वाला होने का कारण इसी को बताया है।
आपका सर दूसरे शहीदों के साथ पहले कूफ़े में इबने ज़ियाद के पास ले जाया गया और उसके बाद दमिश्क़ में यज़ीद के पास भेजा गया और उसके बाद बनी असद के क़बीले की एक औरत आज़रा के हाथों क़ब्रिस्ताने बाबुल सग़ीर में दफ़्न किया गया। (5)
समकालीन शोधकर्ताओं में से एक सैय्यद मोहसिन अमीन का भी यह मानना है कि अली अकबर का सर अब्बास बिन अली और हबीब इबने मज़ाहिर के साथ बाबुल सग़ीर नामक क़ब्रिस्तान में दफ़्न है। (6)
इसके विरुद्ध कुछ लोगों का कहना है कि आपका सर भी इमाम हुसैन के दूसरे साथियों की भाति कर्बला लाया गया और आपके शरीर के साथ दफ़्न किया गया है, और यही दृष्टिकोण शिया और सुन्नियों के बीच प्रसिद्ध है। (7)
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(1) कुछ रिवायतों में इस प्रकार आया है «اللهم اشهد على هؤلاء ...»
(2) आयानुश शिया, जिल्द 1, पेज 607, मक़तलुल हुसैन मक़रम, पेज 312, मुनतहल आमाल, जिल्द 1, पेज 272, मसीरुल अहज़ान इबने नुमा, पेज 69
(3) किबरीतुल अहमर, पेज 185
(4) तरजुमा इरशाद शेख़ मुफ़ीद, जिल्द 2, पेज 110, मसीरुल अहज़ान इबने नुमा, 69
(5) Calmard, “ʿALĪ AKBAR”, Iranica.
(6) पज़ोहिशी दरबार ए फ़रजाम व महल्ले दफ़्ने सरे मुतह्हरे इमाम हुसैन (अ) व सरहाई दीगर शोहदा, पेज 79-98
(7) पज़ोहिशी दरबार ए फ़रजाम व महल्ले दफ़्ने सरे मुतह्हरे इमाम हुसैन (अ) व सरहाई दीगर शोहदा, पेज 79-98