सुखी वैवाहिक जीवन के मूल मंत्र
पुरूषों को हर चीज़ से अधिक इस बात की इच्छा रहती है कि उनकी जीवन साथी उनकी मित्र रहे और उनकी स्थिति को पूर्ण रूप से समझे । तो यदि आप चाहती हैं कि आप के और आप के पति के बीच प्रेम भावना बनी रहे बल्कि बढ़ती रहे तो अपने जीवन में कुछ बातों पर विशेष ध्यान दें:
१) हर निर्णय अपनी इच्छानुसार न लें। पति के निर्णय और इच्छा पर ध्यान दें, उनकी बातों का सम्मान करें। पारिवारिक विषयों में उनकी बातों को सर्वोपरि रखें। इस से आप के सम्मान में कमी नहीं आयेगी बल्कि बच्चों और परिवार के सभी सदस्यों की दृष्टि में आप दोनों को सम्मान बढ़ेगा। वरना बच्चे आज पिता की बातों को महत्व नहीं देंगे और कल बड़े होकर आप की अनदेखी करने लगेंगे।
२) अपने पति का आत्म विश्वास बढ़ाये। जिस प्रकार अपनी सहेलियों की तारीफ़ करती हैं कि बहुत अच्छी लग रही हो, यह रंग तुम पर बहुत सजता है आदि। उसी प्रकार पति के कपड़ों, उनके कामों और यदि उनकी उन्नति आदि हुयी हो तो उस पर अपनी हार्दिक मावनाओं को प्रकट करें और उन्हें बतायें कि आपको और बच्चों को उन पर गर्व है।
इसके अतिरिक्त पति के लिये अपने बाहय रूप को महत्व दें। साफ़ सुथरे कपड़े और सुन्दर चेहरे और बालों के साथ पति के सामने जाना बताता है कि आप अपने जीवन साथी को महत्व देती हैं।
३) पति के लिये विश्वास का पात्र और वफ़ादार बनें। हर पति की यह इच्छा होती है कि वह पत्नी को अपने मन की बातें बताये और पत्नी उसे बस अपने तक सीमित रखें परन्तु अधिकतर पत्नियां पति के रहस्य को छिपाने में सफल नहीं रहतीं आप प्रयास करें कि पति के रहस्यों को अपने मन में छिपाये रखें ताकि आपसी विश्वास बढ़ सके पति के कामों और फ़ैसलों की सदैव आलोचना न करती रहें। ऐसी पत्नियों को पति द्वारा अधिक प्रेम और सम्मान मिलता है जो क्रोध की स्थिति में स्वंय को कन्ट्रोल करके बात को तर्कपूर्ण ढंग से समाप्त कर देती हैं और झमड़ा बढ़ने नहीं देतीं।
४) आप नारी हैं, अपने नारीत्व को मिटने न दें। कृपालु और स्नह मयी रहें। चीख़ना चिल्लाना एक नारी को शोभा नहीं देता इसी प्रकार ताना देना और कटाक्ष करना आप के व्यक्तित्व को गिरा देता है और घर के वातावरण में कड़वाहट उत्पन्न हो जाती है जबकि पुरूष को घर में शान्त वातावरण की आवश्यकता होती है। अत: अपने व्यवहार को सुन्दर बनाये और हंस मुख रहें।
५) अधिकतर पत्नियां इस बात को मूल जाती हैं कि उन्होंने पति को जब पसन्द किया था तो वह किस रूप में था। विवाह के बाद वह यह प्रयास करने लगती हैं कि बालों और कपड़ों का स्टाइल, व्यवसाय और मित्र सब कुछ बदलने पर पति को विवश कर दें ताकि वह उनका मन पसन्द बन सके। याद रखिये यह स्थिति पति के व्यक्तित्व को खोखला कर देती है।
६) पति को सदैव इस बात का आभास होना चाहिये कि पत्नी उससे प्रेम करती है और सभी घर वालों को उसकी आवश्यकता है। ज़िम्मेदारी की यह भावना उसके व्यक्तित्व को निखारती है और उसे सन्तुष्ट रखती है और यह काम आप को करना है अपने मीठे शब्दों द्वारा। ईश्वर ने पुरूष को महिला की ज़िम्मेदारी उठाने वाला और उसका सहायक व समर्थक बनाया है उसे अपना दायित्व निभाने में सहायता दें। यही जीवन है।