इतिहासिक कथाऐ
ग़दीरे खुम में पैगम्बर का खुत्बा
- में प्रकाशित
हाँ ऐ लोगो वह वक़्त क़रीब है कि मैं दावते हक़ को लब्बैक कहूँ और तुम्हारे दरमियान से चला जाऊँ। तुम भी जवाब दे हो और मै भी जवाब दे हूँ”
इमाम हुसैन (अ.स) की शहादत मे हज़रत उमर का किरदार
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- अनुवादकः सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी
लेकिन नही मालूम की इतनी सख्तीयो के बावजूद माविया के साथ कैसी सांठ-गांठ थी कि इसकी खयानतो और बिदअतो के मुक़ाबले मे उमर ने कभी कुछ नही कहा।
इस्लाम के बाक़ी रहने में इमाम हुसैन अ.ह के आंदोलन की भूमिका।
- में प्रकाशित
हज़रत इमाम हुसैन अ. ने अपने रिश्तेदारों और साथियों के साथ इस्लाम को क़यामत तक के लिये अमर बना देने के लिए महान बलिदान दिया है। इस रास्ते में इमाम किसी क़ुरबानी से भी पीछे नहीं हटे, यहां तक कि छः महीने के दूध पीते बच्चे को भी इस्लाम के लिए क़ुरबान कर
हज़रत इदरीस अ0
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- फऱोग़ काज़मी
दुनिया मे आप ने 365 साल तक कारे तबलीग़ अन्जाम दिया इसके बाद अल्लाह ने आप को जिन्दा आसमान पर उठा लिया
अबूल बशर हज़रत आदम अ.
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- लेखक:
- फऱोग़ काज़मी साहब
परवरदिगार ने इन दोनों को सुकूनत का हक़ दिया और तमाम अनवाओ अक़साम के फल और मेवे जात खाने की इजाज़त दी, लेकिन एक मखसूस दरख्त के बारे में मना कर दिया कि इस के नज़दीक न जाना।
हदीसे ग़दीर
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- लेखक:
- तर्जमा-सैय्यद क़मर ग़ाज़ी
- स्रोत:
- गिरोहे मआरिफ़े इस्लामी
यानी पैगम्बर (स.) ने अली (अ.) से फ़रमाया कि ऐ अली उठो कि मैनें तमको अपने बाद इमाम व हादी की शक्ल में मुंतखब कर लिया है।
8 शव्वाल, जन्नतुल बक़ी और वहाबियत के अत्याचार।
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- स्रोत:
- विलायत पोर्टल
फिर मदीने में पैग़म्बर की पवित्र क़ब्र को तोप का निशाना बनाया लेकिन मुसलमानों के आक्रोश को देख कर वह ऐसा नही कर पाए।
कर्बला में ज़िंदा बच जाने वाले लोग।
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- स्रोत:
- vilayat.in
इनके कर्बला में मौजूद होने और कर्बला की घटना के बाद ज़िन्दा रहने की रिवायत कुछ किताबों में ज़िक्र हुई है।
फ़िदक से संबन्धित अनसुलझे सवाल
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अगर कोई चीज़ आपके हाथ में हो और कोई दूसरा उसको छीन ले तो अदालत में उस चीज़ को अपनी सम्पत्ति साबित करने के लिए गवाही छीनने वाले से मांगी जाएगी या आपसे?
ख़लीफ़ा के फ़िदक छीनने का लक्ष्य व मक़सद
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वह इस काम के ज़रिये से चाहते थे कि अहले बैत अलैहिमुस सलाम की माली व आर्थिक स्थिति को कमज़ोर कर दें और हक़ के लिये उठने वाली आवाज़ को हज़रत फ़ातेमा (अलैहस सलाम) के घर से बुलंद होती थी,
बक़्रईद, उस महान क़ुरबानी की याद
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सूरे साफ्फात की १००वीं आयत में आया है कि इब्राहीम ने ईश्वर से एक भले बेटे की विनती की थी और ईश्वर ने भी वर्षों की प्रतीक्षा के बाद इब्राहीम को इस्माईल प्रदान किया”
फ़िदक, ख़लीफ़ाओं की विरोधाभास बातें
- में प्रकाशित
हज़रते ज़हरा ने उसको वापस पाने के लिए सबसे पहले पैग़ाम भेजा कि फ़िदक मेरा है मुझे वापस कर दो।
रतनसेन तीन हिजरी का हिन्दुस्तानी मुसलमान
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- लेखक:
- मौलाना पैग़म्बर अब्बास नौगाँवी
तारीखदानो ने हिन्दुस्तान मे इस्लाम की आमद हज्जाज बिन युसुफ के नौजवान कमांडर मौहम्मद बिन क़ासिम से मंसूब की है और ये ऐसी ज़हनीयत का नतीजा है कि जो इस्लाम को तलवार के फलता फूलता मानती है यहाँ भी यही जाहिर किया गया है कि मौहम्मद बिन कासिम ने हिन्दुस्तान पर हमला किया जिसके नतीजे मे हिन्दुस्तान मे इस्लाम की शूरूआत हुई।
मुबाहेला
- में प्रकाशित
पैग़म्बरे इस्लाम ने अनन्य ईश्वर की बंदगी का निमंत्रण दिया किंतु प्रतिनिधिमंडल के लोगों ने तीन पूज्यों की बात पर आग्रह किया।
पढ़ा लिखा गधा
- में प्रकाशित
बोहलोल बाज़ार से गुज़र रहा था के एक शख़्स ने दामन पकड़ लिया- बोहलोल ने उसकी तरफ़ देखा- "क्या बात है भाई- मुझे क्यों रोका है"- ? वह परेशानी से बोला- "जनाब शेख़ बोहलोल ख़ुदा के लिये मेरी मद्द किजिये- वरना मैं बे मौत मारा जाऊँगा"-
भाप की कीमत
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किसी ने हारून से कहाः बहलोल कल बग़दाद के बड़े बाजार में एक फकीर नानबाई की दुकान के सामने से गुज़र रहा था- उसने तरह- तरह के खाने चुल्हो पर चढ़ा रखे थे- ज़िससे भाँप निकल रही थी- उन खानो की ख़ुश्बू उन खानो की लज़्जत का पता दे रही थी और इर्द- गिर्द गुज़रने वालो को अपनी तरफ मुतावज्जेह कर रही थी