इस्लाम की अज़मत
इस्लाम की अज़मत का मिनारा हुसैन है।
हर क़ौम कह रही है हमारा हुसैन है।
दरीया भी है ह़ुसैन कनारा ह़ुसैन है
हर दम रवाँ रहे जो वो धारा ह़ुसैन है।
बी फातेमा की आँख का तारा ह़ुसैन है
मौला अली का राज दुलारा ह़ुसैन है।
तह़तूस्सरा से अर्शे मोअल्ला तलक कहीं
कोई नहीं है जैसा न्यारा ह़ुसैन है।
नामो नेशान उसका मिटा कर के रख दिया
जिस जिस को एक वार भी मारा ह़ुसैन है।
जन्नत में शहद दूध जो तसनीम का दरीया
जितना भी है वो सारा तुम्हारा ह़ुसैन है।
नाकाम कर दिया है जो बातिल का इरादा
वो ज़ुल जनाह़ सवार हमारा ह़ुसैन है।
सज्दे को कर दिया है शहे दीन ने तवील
पर तुम को पुश्त से ना उतारा ह़ुसैन है।
ज़ख़्मी हुआ है सारा बदन से है सर जुदा
दर्दो अलम से फिर भी ना हारा ह़ुसैन है।
सौ जान से नेसार क़मर क्यूं ना हम हों जब
अल्लाह के रसूल को प्यारा ह़ुसैन है।