हक़ निभाना मेरे हुसैन का है,
हक़ निभाना मेरे हुसैन का है,
दिल ठिकाना मेरे हुसैन का है।
जिसके साये में कायनात है सब,
ऐसा नाना मेरे हुसैन का है।
जबसे घर में मेरे सजे है अलम,
आना-जाना मेरे हुसैन का है।
उग रहा है जो वादे क़र्बोबला,
वो दाना-दाना मेरे हुसैन का है।
जिस जगह हूर बनाये जाते है,
कारखाना मेरे हुसैन का है।
तुम जिसे आसमाँ समझते हो,
वो सामेयाना मेरे हुसैन का है।
ये जो काबा है तुम न समझोगे,
घर पुराना मेरे हुसैन का है।
रोज़ पड़ता हूँ सूरए रहमान,
ये तराना मेरे हुसैन का है।
सिर्फ आसुर तक नही मेहदूद,
हर ज़माना मेरे हुसैन का है।
बोली ज़ोहरा ये अश्क़ दो मुझको,
ये खज़ाना मेरे हुसैन का है।