शेख मुहम्मद कुलैनी (र.ह)
शेख मुहम्मद कुलैनी (र.ह) जन्म
शेख मुहम्मद कुलैनी का जन्म ग्यारहवे इमाम हजरत हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के समय मे सन्259 हिजरी क़मरी मे शहरे रै से 38 कि. मी. दूर कुलैन नामक स्थान पर हुआ था। आपके पिता याक़ूब एक श्रेष्ठ व्यक्ति थे उन्होने बचपन मे ही मुहम्द को प्रशिक्षित कर इस्लामी मान्यताओं से परिचित करा दिया था। शेख मुहम्मद कुलैनी तीसरी शताब्दी हिजरी के अन्तिम व चौथी शताब्दी हिजरी के प्रारम्भिक चरण मे शियों के उच्च कोटी के विद्वान थे वह फ़िक्ह व हदीस मे दक्ष थे। उनके द्वारा वर्णित हदीसों को सत्य व विशवासनीय माना जाता था। इसी कारण आपको सिक़्कतुल इस्लाम की उपाधि दी गयी थी।
क़ुम की यात्रा
शेख कुलैनी का काल हदीस का काल था। समस्त इस्लामी देशों मे हदीस का वर्णन करने,हदीस को सुनने व हदीस को लिखने का अभियान चला हुआ था। शेख कुलैनी ने समय की अवश्यक्ता अनुसार शिया विचार धारा के विकास व उत्थान के लिए इस मार्ग पर चलना उचित समझा। और अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपने प्रियः जन्म स्थान कुलैन को त्याग कर क़ुम की ओर प्रस्थान किया। क़ुम उस समय मुहद्दिसो व रावियों का गढ़ था।
शेख कुलैनी के उस्ताद
क़ुम मे आने के बाद शेख कुलैनी ने उस समय के पवित्र व्यक्तित्व वाले उच्चय कोटी के आलिम (विद्वान) अहमद पुत्र मुहम्मद पुत्र ईसा से हदीस का ज्ञान प्राप्त करने लगे। तथा इस के साथ ही साथ उस समय के श्रेष्ठतम विद्वान अहमद पुत्र इदरीस से भी ज्ञान लाभ प्राप्त करने लगे। अहमद पुत्र इदरीस मुअल्लिम(शिक्षक) की उपाधि से प्रसिद्ध हैं। मुअल्लिम वह व्यक्ति हैं जिनके सम्बन्ध मे शेख तूसी ने अपनी किताब रिजाल मे लिखा है कि “वह हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के सहाबियों मे से थे और उनको इमाम के साथ रहने श्रेय प्राप्त हुआ था।”
प्रसिद्ध विद्वान नजाशी मुअल्लिम के सम्बन्ध मे लिखते हैं कि “चूँकि मुल्लिम ने इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम से ज्ञान प्राप्त किया था। और क्योंकि वह शेख कुलैनी के गुरू हैं इस लिए उनको मुअल्लिम कहा जाता है।”
शेख कुलैनी ने अपने ज्ञान मे वृद्धि हेतू उस समय के एक और महान विद्वान अब्दुल्लाह पुत्र जाफ़र हुमैरी से भी ज्ञान लाभ प्राप्त किया। अब्दुल्लाह वह महान विद्वान हैं जिनका उस समय के हदीस, रिजाल व इतिहास के सभी विद्वान आदर करते थे। वह भी इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के असहाब मे थे। उन्होने बहुत सी किताबे लिखी परन्तु इस समय उनकी (क़ुर्बुल असनाद) नामक केवल एक ही किताब मौजूद है।
शेख कुलैनी ने अन्य जिन लोगों से ज्ञान लाभ प्राप्त किया वह निम्ण लिखित हैं।
1-अहमद पुत्र मुहम्मद पुत्र आसिमे कूफ़ी
2-हसन पुत्र फ़ज़्ल पुत्र ज़ैद यमानी
3-मुहम्मद पुत्र हसन सफ़्फ़ार
4-सुहैल पुत्र ज़ियाद आदमी राज़ी
5-मुहम्मद पुत्र हसन ताय़ी
6-मुहम्मद पुत्र इस्माईल नेशापुरी
7-अहमद पुत्र मेहरान
शेख कुलैनी का क़ुम से प्रस्थान
क़ुम उस समय शिया विचार धारा का मुख्य केन्द्र था। तथा मासूमीन अलैहिमुस्सलाम की हदीसों( प्रवचनो) के प्यासे व्यक्ति यहाँ आकर अपनी प्यास बुझाते थे। परन्तु शेख कुलैनी यहाँ पर पूर्ण रूप से तृप्त न हो सके और अपनी प्यास बुझाने के लिए उन्होने क़ुम से प्रस्थान किया और अहादीस का ज्ञान प्राप्त करने के लिए वह एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्राऐं करते रहे।अगर उन्हें किसी स्थान के बारे मे मालूम होता कि उस स्थान पर एक हदीस का जानने वाला व्यक्ति रहता है तो वह उस स्थान पर पहुँच कर उससे वह हदीस सुनते उसको याद करते व दूसरे स्थान की ओर प्रस्थान कर जाते। इसी प्रकार यात्रा करते हुए वह कूफ़े पहुँचे। कुफ़ा उस समय हदीस के महान विद्वान इब्ने उक़्दा का निवास स्थान था वह हदीस को याद करने मे विश्व विख्यात थे। उनको एक लाख हदीसें सनद के साथ याद थीं। उन्होने बहुत सी किताबे लिखी हैं उनमे सबसे प्रसिद्ध किताब रिजाल इब्ने उक़्दा नामक किताब है इस किताब मे उन्होने इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम के 4000शिष्यों के नाम लिखें हैं और इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की बहुत सी हदीसों का उल्लेख भी किया है। यह किताब शेख तूसी अलैहिर्रहमा के समय तक उपस्थित थी परन्तु बाद मे यह किताब लुप्त हो गई।
इसके बाद शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा विभिन्न विद्वानो व मुहद्दिसों से ज्ञान लाभ प्राप्त करते हुए बग़दाद पहुँचे। जब वह बग़दाद पहुँचे तो उस समय तक उन्होने ज्ञान के क्षेत्र बहुत ख्याति प्राप्त करली थी। शिया उन पर गर्व करते थे व सुन्नी उनको आदर की दृष्टि से देखते थे। उनकी पवित्रता, विद्वत्ता व श्रेष्ठता की ख्याति विश्व व्यापी हो गयी थी। उन के समकालीन सुन्नी विद्वान भी धार्मिक समस्याओं के समाधान के लिए उनसे सम्पर्क स्थापित करते थे।क्योंकि अन्य इस्लामी सम्प्रदायो के अनुयायी भी उनके फ़तवे को मानते थे इसी कारण वह सिक़्क़तुल इस्लाम कहलाने लगे। इस्लाम मे वह प्रथम व्यक्ति हैं जो इस उपाधि से सुशोभित हुए।
शेख कुलैनी ने अहले सुन्नत मे भी इस सीमा तक अपना वर्चस्प स्थापित किया कि इब्ने असीर नामक विद्वान ने पैगम्बर सल्लल्लाहो अलैहि वा आलिहि वसल्लम की एक हदीस लिखी कि आपने कहा कि “अल्लाह प्रत्येक शताब्दी के आरम्भ मे एक व्यक्ति को चुनता है जो उसके धर्म को जीवित रखे।” बाद मे इब्ने असीर ने इस हदीस की व्याख्या करते हुए लिखा कि “प्रथम शताब्दी मे शिया मज़हब को जीवित करने वाले महम्मद पुत्र अली हज़रत इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम थे।और दूसरी शताब्दी मे यह कार्य अली पुत्र मूसा अर्थात हज़रत इमाम अली रिज़ा ने किया। और तीसरी शताब्दी मे शिया सम्प्रदाय को जीवित करने का कार्य मुहम्मद पुत्र याक़ूब कुलैनी ने किया।”
शेख कुलैनी का इल्मी मुक़ाम (विद्वत्तीय स्थान
शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा अपने समय के प्रसिद्ध विद्वान थे। उनकी श्रेष्ठता के लिए यही अधिक है कि उन्होने उस समय मे इल्म व तक़वे( ज्ञान व पवित्रता)के क्षेत्र मे प्रसिद्धि प्राप्त की जब इमाम ग़ैबते सुग़रा मे थे और उनके नायिब शियों के मध्य उपस्थित थे। तथा अपने ज्ञान व पवित्रता के लिए प्रसिद्ध थे और आदर की दृष्टि से देखे जाते थे। शेख कुलैनी ने उस समय शिया सम्प्रदाय का खुले आम प्रचार किया। शिया व सुन्नी दोनो सम्प्रदाय उनको आदर की दृष्टि से देखते थे।
शेख कुलैनी विद्वानों की दृष्टि में
1-प्रसिद्ध विद्वान नजशी के अनुसार –“वह अपने समय मे शहरे रै मे शियों के पेशवा थे। उन्होने सबसे अधिक हदीसों को याद किया था तथा वह उस समय सबसे अधिक विशवसनीय समझे जाते थे।“
2-इब्ने ताऊस के अनुसार-“शेख कुलैनी समस्त लोगों के विशवासपात्र थे।”
3-इब्ने असीर के अनुसार -“उन्होने तीसरी शताब्दी मे इमामिया(शिया) समप्रदाय को नया जीवन प्रदान किया। वह शिया सम्प्रदाय के एक महान व प्रसिद्ध विद्वान थे।”
4-इब्ने हज्रे अस्क़लानी के अनुसार-“शेख कुलैनी मुक़तदर अब्बासी के शासन काल मे शियों के विद्वान व पेशवा थे।”
5-मुहम्मद तक़ी मजलिसी के अनुसार-“वास्तविक्ता यह है कि शिया विद्वानो मे कुलैनी जैसा कोई दूसरा पैदा नही हुआ। अगर कोई उनकी किताबों को देखें और उनके द्वारा अर्जित की गई सूचनाओं पर अपने ध्यान को केन्द्रित करे तो उसको ज्ञात होगा कि वह अल्लाह की विशेष कृपा के पात्र थे।”
शेख कुलैनी के शागिर्द(शिष्यगण)
शेख कुलैनी के अनेकानेक शिष्य हैं उनमे से मुख्य़ शिष्य़ इस प्रकार हैं।
1-इब्ने अबी राफ़े सुमैरी
2-अहमद पुत्र अहमद कातिब कूफ़ी
3-अहमद पुत्र अली पुत्र सईद कूफ़ी
4-अबु ग़ालिब अहमद पुत्र राज़ी
5-जाफ़र पुत्र मुहम्मद पुत्र क़ुलवीय क़ुम्मी
6-अली पुत्र मुहम्मद पुत्र मूसा दक़्क़ाक़
7-मुहम्मद पुत्र इब्राहीम नोमानी- जो इब्ने अबी ज़ैनब से प्रसिद्ध हैं। यह शेख कुलैनी के मुख्य शिष्य थे तथा उनके बहुत निकट समझे जाते थे। इन्होने शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा की काफ़ी नामक किताब को व्यवस्थित किया है।
8-मुहम्मद पुत्र अहमद सफ़वानी यह भी शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा के मुख्य शिष्यों मे से थे। इन्होने शेख की काफ़ी नामक किताब की किताबत की थी।
9-मुहम्मद पुत्र अहमद सनानी ज़ाहिरी
10-मुहम्मद पुत्र अली माजीलवीय
11-मुहम्मद पुत्र मुहम्मद पुत्र इसाम कुलैनी
12-हारून पुत्र मूसा
शेख कुलैनी की रचनाऐं
1-किताबे रिजाल
2-किताबे रद्द बर क़िरामेता
3-किताबे रसाईल आइम्मा अलैहिमुस्सलाम
4-किताबे ताबीरूर्रोया
5-मजमुआ ए अशार
6- किताबे काफ़ी यह शेख कुलैनी की एक महत्वपूर्ण किताब है तथा इस किताब को शिया सम्प्रदाय मे उच्चय स्थान प्राप्त है। यह किताब तीन भागों पर आधारित है
क- उसूले काफ़ी
ख- फरू-ए-काफ़ी
ग- रोज़ा-ए-काफ़ी
उसूले काफ़ी नामक भाग मे पैगम्बरे इस्लाम व आइम्मा-ए-मासूमीन अलैहिमुस्सलाम के 16199 पवित्र कथनो(हदीसों) को एकत्रित किया गया है। तथा यह भाग तीस खण्डों पर आधारित है जो इस प्रकार हैं—
अक़्ल, फ़ज़्ल, इल्म, तौहीद, हुज्जत, ईमान व कुफ़्र, दुआ, फ़ज़ाइले क़ुऑन, तहारत व हैज़, सलात, ज़कात, सौम, हज, निकाह, इत्क़व तदबीर व मुकातेबा, ईमान व नज़रात व कफ़्फ़ारात, मइशत, शहादात, क़ज़ाया व अहकाम, जनाइज़ व सदक़ात, सैद व ज़बायेह, अतअमाह व अशरबाह, दवाजन व रवाजन, ज़ी व तजम्मुल, जिहाद, वसाया, फ़राइज़, हुदूद, दीयात व रोज़ेह इस किताब का अन्तिम खण्ड है।
काफ़ी शेख कुलैनी की सबसे अधिक प्रसिद्ध किताब है। यह उनका महत्व पूर्ण कार्य है और इस किताब के समान दूसरी कोई भी किताब इतनी विश्वसनीयता नही रखती। इस सम्बन्ध मे इमामे ज़माना अज्जःलल्लाहु तआला फ़रःजुहु शरीफ़ का एक वाक्य मिलता है कि आपने कहा कि “ काफ़ी हमारे शियों की आवश्यक्ताओं की पूर्ति हेतू काफ़ी है।” काफ़ी शिया सम्प्रदाय की मुख्य चार किताबों मे प्रथम स्थान पर है।अन्य तीन किताबें इस प्रकार हैं---
1-मन ला यहज़रूल फ़कीह (लेखक शेख सदूक़ अलैहिर्रहमा)
2-तहज़ीब (लेखक शेख तूसी अलैहिर्रहमा)
3-इस्तबसार ( लेखक शेख तूसी अलैहिर्रहमा)
स्वर्गवास
शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा का स्वर्गवास सन् 329हिजरी क़मरी के शाबान मास मे बग़दाद मे हुआ। उनकी नमाज़े जनाज़ा अबु क़िरात नामक विद्वान ने पढ़ाई। शियों ने विशेष आदर के साथ आपको बग़दाद मे ही बाबे कूफ़ा नामक स्थान पर दफ़्न किया। इसी वर्ष इमामे ज़माना अलैहिस्सलाम के अन्तिम नायब अली पुत्र मुहम्मद सुमैरी अलैहिर्रहमा का भी स्वर्गवास हुआ। और इसी वर्ष ही इमाम महदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबते कुबरा शुरू हुई।
वह एक महानव विद्वान थे अल्लाह उन पर रहमत करे।