मोजिज़ा ए शक़ उल क़मर
इब्ने अब्बास इब्ने मसूद अनस बिन मालिक हुज़ैफ़ा बिन उमर जिब्बीर बिन मुतअम का बयान है कि शक़ उल क़मर का मोजिज़ा कोहे अबू क़ुबैस पर ज़ाहिर हुआ था जब कि अबू जेहल ने बहुत से यहूदीयों को हमराह ला कर हज़रत से चाँद को दो टुकड़े करने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की थी।
यह वाक़िया चौहदवी रात को हुआ था जब कि आपको मौसमें हज में शुऐब अबी तालिब से निकलने की इजाज़त मिल गई थी।
अहले सैर लिखते हैं कि यह वाक़िया 9 बेअसत का है। इस मौजिज़े का ज़िक्र तारीख़ फ़रिश्ता में भी है। हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) फ़रमाते हैं कि मुजिब एतक़ादो क़ौलेही इस मौजिज़े के वाक़े होने पर ईमान वाजिब है।
(सफ़ीनतुल अल बहार जिल्द 1 सफ़ा 709)
इस मोजिज़े का ज़िक्र अज़ीज़ लखनवी मरहूम ने क्या ख़ूब किया है।
मोजिज़ा शक़्क़ुल क़मर का है मदीने से अयाँ
मह ने शक़ हो कर लिया है दीन को आग़ोश में