अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

नौहे

नौहा

नौहा

किस तरह तन्हा अंधेरी रात में नींद आएगी आओ सीने से लगा लें माँ अली असग़र उठो

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शहादते इमामे मूसा काज़िम

शहादते इमामे मूसा काज़िम सुना यूँ शह को कहते बारहा दरबारे ज़िन्दां ने के ख्वाहिश थी दिया तूने मुझे ताअत को घर तन्हा

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शहादत हज़रत मोहम्मद बाकिर (अ)

शहादत  हज़रत मोहम्मद बाकिर (अ) दो शम्बा सात ज़िहिज्जा सन् एक सौ सोलह हिज़री थे उठा दुनिया से जब नूर निगाहे आबिदे मुज़तर

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