कहानीया
सिन्दबाद की कथा
- में प्रकाशित
![सिन्दबाद की कथा सिन्दबाद की कथा](images/def.jpg)
फार्स में सिन्दबाद नाम का एक राजा रहता था। उसके पास प्रशिक्षित बाज़ एक बाज़ था जिसे वह बहुत चाहता था और उसे अपने से अलग नहीं करता था। सिन्दबाद के आदेश से बाज़ की गर्दन में सोने का बना एक छोटा प्याला बांध दिया गया था ताकि जब भी उसे प्यास लगे उससे पानी पी ले। एक दिन राजा सिन्दबाद और उसके मंत्री व दास शिकार करने गये।
नकली खलीफा 5
- में प्रकाशित
मेरा वास्तविक नाम मोहम्मद अली है और मैं जौहरी अली का बेटा हूं। शायद आप मेरे पिता को पहचानते हों। क्योंकि वह शहर के गणमान्य व्यक्ति थे। उन्होंने अपने मरने के बाद मेरे लिए बहुत सारा धन छोड़ा जिसमें हीरा -जवाहेरात भी शामिल हैं।
नक़ली खलीफा 4
- में प्रकाशित
-
- स्रोत:
- IRIR.IR
ढोंगी ख़लीफ़ा ने कहा कि यह वे वस्त्र हैं जिन्हे हमने परिश्रम से कमाये पैसे से ख़रीदा है और इसके साथ जो चाहता हूंकरता हूं और उसके बाद उसे दोबारा नहीं पहनता और बैठक में बैठ किसी एक व्यक्ति को पांच सौ सिक्को के साथ भेंट कर देता हूं।
नक़ली खलीफा 3
- में प्रकाशित
कुछ देर बाद, हारून ने वज़ीर के कान के पास अपना मूंह ले जाकर उससे कहा, जाफ़र मैं असली ख़लीफ़ा हूं, इसके बावजूद मेरे महल में इस तरह का ताम झाम नहीं है
नक़ली खलीफा 2
- में प्रकाशित
दूसरी रात, हारून रशीद ने अपने वज़ीर और मसरूर शमशीरज़न को बुलाया और कहा, तैयार हो जाओ, उस ख़लीफ़ा से मिलने चलना है।
नक़ली खलीफा
- में प्रकाशित
एक रात को हारून रशीद ने अपने मंत्री जाफर बरमकी को बुलाया और उससे कहा जाफर आज रात मैं थका हूं
अबूसब्र और अबूक़ीर की कथा-6
- में प्रकाशित
अगर इस बार बादशाह सलामत उसके हम्माम में जाएंगे तो वह आपसे कहेगा कि उस दवा को बदन पर मलवाएं कि उससे रंग अधिक साफ़ होता है। अगर आपने उस दवा को बदन पर मलवा लिया तो उसमें मौजूद ज़हर फ़ौरन असर करेगा और आप की मौत हो जाएगी। बादशाह यह सुन कर बहुत ग़ुस्सा हुआ और उसने अबू क़ीर से कहा कि वह इस बात को किसी को न बताए। उसके बाद उसने अबू क़ीर की बात की सच्चाई को परखने के लिए हम्माम जाने का फ़ैसला किया। अबू सब्र को बादशाह के हम्माम आने के इरादे की ख़बर दी गयी। अबू सब्र ने हम्माम तय्यार कर दिया और राजा का इंतेज़ार करने लगा। राजा अपने साथियों के साथ हम्माम पहुंचा। अबू सब्र भी विगत की तरह राजा को नहलाने के लिए हम्माम में गया। राजा के हाथ पैर धुलाए।
अबूसब्र और अबूक़ीर की कथा-5
- में प्रकाशित
शहर में जितने रंगरेज़ थे वह काले रंग के अलावा और कोई रंग नहीं जानते थे। इस तरह अबू क़ीर ने वहां के राजा की मदद से अपना कारोबार खड़ा कर लिया और उसकी आमदनी होने लगी। उसकी दुकान राजा का रंगख़ाना के नाम से मशहूर हो गई। अबू सब्र भी तबीयत में सुधार आने के बाद काम की तलाश में निकला और उसने राजा की मदद से एक सार्वजनिक हम्माम बना लिया।
अबूसब्र और अबूक़ीर की कथा-4
- में प्रकाशित
उधर सराय के सेवक की देखभाल से अबूसब्र की हालत अच्छी हो गयी जिसे अबूक़ीर बीमारी की हालत में छोड़कर चला गया था। एक दिन जब अबूसब्र बाहर गया था तो उसने अबूक़ीर और उसकी दुकान को देखा। वह उसकी दुकान के अंदर गया। अबूक़ीर ने जैसे ही अबूसब्र को देखा ज़ोर से चिल्लाया है हे निर्लज्ज चोर फिर मेरी दुकान में आ गया? उसके बाद उसने अपने दासों को आदेश दिया कि उसे दुकान से बाहर कर दें।
अबूसब्र और अबूक़ीर की कथा-3
- में प्रकाशित
काम अधिक होने के कारण अबूसब्र बीमार हो गया और उसका साथी अबूक़ीर जो एक पाखंडी व झूठा इंसान था उसे छोड़कर काम की खोज में चला गया। चूंकि उस नगर में रंगाई का काम करने वाले काले रंग के अलावा किसी और रंग से काम करने से अवगत ही नहीं थे इसलिए वहां के राजा की सहायता से उसका काम धंधा अच्छा चल गया। राजा ने रंग करने के लिए पांच सौ गज़ कपड़ा उसकी दुकान भेजा।
अबूसब्र और अबूक़ीर की कथा -2
- में प्रकाशित
क़बतान नाम के एक अच्छी हैसियत वाले इंसान ने अबू सब्र को खाने पर आमंत्रित किया और कहा कि अपने साथी को भी लेकर आना। अबू सब्र ख़ुशी ख़ुशी अपने मित्र के पास पहुंचा। वह सो रहा था लेकिन अबू सब्र की आहट सुनकर का जाग गया। उसने देखा कि अबू सब्र अपने साथ खाने पीने की चीज़ें लेकर आया है। वह झट पट उठा और खाना शुरू कर दिया। अबू सब्र ने उससे कहा कि यह चीज़ें बाद के लिए रख दो, क्योंकि आज रात हम दोनों की दावत है। अबू क़ीर ने कहा कि समुद्री यात्रा से मेरी तबीयत ख़राब हो गई है इस लिए तुम दावत खाओ, मैं तो यही चीज़ें खाकर सो रहुंगा।
अबूसब्र और अबूक़ीर की कथा
- में प्रकाशित
-
- स्रोत:
- irib.ir
जब भी कोई इंसान उसके पास कपड़े लेकर आता और उससे कहता कि इसको रंग दो तो वह कहता कि पहले रंगाई के पैसे मुझे दे दो और अपने कपड़े लेने कल आना। जब अगले दिन वह व्यक्ति अपने कपड़े लेने आता तो अबूक़ीर कहता कि कल हमारे यहां मेहमान आ गए थे जिसकी वजह से तुम्हारा काम नहीं कर सका अच्छा तुम कल आना तुमको कपड़े मिल जाएंगे। ग्राहक जब अगले दिन आता तो अबूक़ीर एक नई कहानी गढकर उसको वापस कर देता। इस तरह से वह अपने गाहकों को टालता रहता था।
जनाबे सुलेमान का सेब-3
- में प्रकाशित
हमने कहा था कि प्राचीन काल में एक राजा था जिसके तीन बेटे थे। उनके नाम मलिक मोहम्मद, मलिक इब्राहीम और मलिक जमशेद थे। राजा का एक बहुत बड़ा और अजीबो ग़रीब बाग़ था और क्योंकि उसका प्रवेश द्वार हमेशा बंद रहता था, इसलिए न वह ख़ुद उसमें जाता था और न ही कोई दूसरा व्यक्ति राजा के भय से उसके निकट जाने की हिम्मत करता था। राजा ने अपने जीवन के अंतिम समय में अपने तीनों बेटों से वसीयत करते हुए कहा कि कोई भी उस बाग़ का द्वार न खोले।
जनाबे सुलेमान का सेब-2
- में प्रकाशित
लेकिन एक दिन बड़ा बेटा मलिक मोहम्मद बाग़ में चला गया, उसने एक सुन्दर हिरन देखा और उसका पीछ किया। हिरन रास्ते में उससे सवाल पूछता रहा यहां तक कि वे शहर के द्वार पर पहुंच गए। लड़के को राजा के सामने हाज़िर किया गया। राजा ने उसके सामने एक शर्त रखी कि अगर वह उसकी लड़की को सुबह तक बुलवा सका जो वर्षों से कुछ नहीं बोली है तो अपनी लड़की की शादी उसके साथ कर देगा
जनाबे सुलेमान का सेब-1
- में प्रकाशित
उसने अपने तीनों बेटों को बुलाया और जब उसने अपने धन-दौलत और शासन की ज़िम्मेदारियां उनके बीच बाट दीं तो उन्हें वसीय करते हुए कहा कि कोई भी उस बाग़ का द्वार न खोले। राजा ने यह कहा और इस दुनिया से चला गया।
अहमद बन गया बादशाह 3
- में प्रकाशित
अचानक कबूतर सफ़ेद घोड़ा बन गया और उसने अहमद से कहा कि जब परियों के राजा की बेटी आ जाए तो वह जो भी कहे तुम बस यही कहना कि जैसा आपका हुक्म। घोड़ा यह कहकर अचानक दौड़ता हुआ बाग़ में ग़ायब हो गया। कुछ की क्षणों बाद परियों की राजकुमारी बाग़ के दरवाज़े पर आई और उसने कहा कि मैं और सफ़ेद घोड़ा तुम्हारे साथ हैं और जब तक हम तुम्हारे साथ हैं तुम कोई चिंता न करना, मैं तुम्हारें भाग्य में हूं और आख़िरकार तुम ही राजा बनोगे।
अहमद बन गया बादशाह 2
- में प्रकाशित
इस बार भी हज़रत ख़िज़्र उसके स्वप्न में आये और उन्होंने समस्या का समाधान बताया। अहमद ने हज़रत ख़िज़्र के बताये हुए रास्ते पर चल कर यह कार्य भी अंजाम दे दिया। अहमद ने वृक्ष को राजा को दे दिया और कुछ देने के बजाये राजा ने केवल ६ बार शाबाश! शाबाश! कह दिया। अहमद बहुत खिन्न था।
अहमद बन गया बादशाह 1
- में प्रकाशित
मां ने पूछा, क्या हो गया है, जो इस तरह आंसू बहा रहा है? अहमद ने बूढ़ी मां को बताया कि राजा ने उसे क्या आदेश दिया है। मां ने कहा, ईश्वर पर भरोसा कर। आज रात सो जाओ ताकि देखें कल क्या हो सकता है। अहमद रात को सो गया और जब वह गहरी नींद में था तो हज़रत ख़ेज़्र उसके सपने में आए और कहा, सुबह होने पर रोटी की पोटली और पानी की मश्क लेकर चल पड़ना।
- «
- प्रारंभ
- पिछला
- 1
- अगला
- अंत
- »