इमामे सादिक़(अ)
इमाम सादिक़ और मर्दे शामी
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी
इमाम (अ.स) ने अपने सहाबी और शार्गिद जमरान की तरफ मुँह करके फरमायाः जमरान इस शख्स का जवाब दो।
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम और हिन्दुस्तानी हकीम
- में प्रकाशित
वो हकीम कहने लगे कि मै गवाही देता हुँ कि कोई खुदा नही सिवा एक के और मौहम्मद उसके रसूल और खास बन्दे है और आप इस जमाने के सबसे बड़े आलिम है।
अब्दुल मलिक बिन मरवान के दौर मे इमाम सादिक़ का एक मुनाज़ेरा
- में प्रकाशित
एक बार अब्दुल मलिक बिन मरवान के दरबार मे क़दरिया मुनाज़िर आया और उसने बादशाह के उलामा से मनाज़रे की माँग की। बादशाह के दरबारी उलामा ने उस से बहसो मुबाहेसा शूरू किया और कुछ ही घंटो मे वो सब के सब उस मनाज़िर से हार गये।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.) और ज्ञान प्रसार
- में प्रकाशित
अब जो इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने अपनी ज़बान को हरकत दी तो ज्ञान का वह सैलाब आया जिसके सामने जिहालत की गन्दगी क़दम न जमा सकी
इमाम सादिक़(अ)विद्वानो की द्रष्टि मे
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अबु जाहिज़ कहते हैं कि हज़रत इमाम सादिक़ वह महान् व्यक्ति हैं जिनके ज्ञान ने समस्त संसार को प्रकाशित किया
इमाम सादिक़ का अख़लाक़
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आप उसी मासूम सिलसिले की एक कड़ी हैं जिसे अल्लाह तआला ने इंसानों के लिये आईडियल और नमूना ए अमल बना कर पैदा किया है।
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम का जीवन परिचय
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सुन्नी समुदाय के प्रसिद्ध विद्वान अबु हनीफ़ा कहते हैं कि मैं ने हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से बड़ा कोई विद्वान नही देखा
इमामे सादिक़ (अ.स) की शहादत
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- लेखक:
- फरोग काज़मी
- स्रोत:
- तारीखे इस्लाम जिल्द 4
तारीख़ों से पता चलता है कि मंसूर ने इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ0) को मुतअदिद बार ज़हर के ज़रिये शहीद कराने की कोशीश की मगर चूकि मशीयते ईज़दी की तरफ़ से अय्यामे हयात बाक़ी थे इसलिये आप मौत की दस्तरस से महफ़ूज़ रहे। अल्लामा मजलिसी अलैहिर्रहमा का बयान है कि आख़री मर्तबा आपको अंगूर के ज़रिये क़ैदख़ाने में ज़हर दिया गया जिससे आपकी शहादत वाक़े हुई।
इमाम जाफरे सादिक़ अलैहिस्सलाम
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- स्रोत:
- चोदह सितारे
जब आप बत्ने मादर मे थे तो कलाम फरमाया करते थे और विलादत के बाद आपने कलमाऐ शहादतैन जबान पर जारी किया
अत्याचारी बादशाहों के दौर में इमाम सादिक़ अ. नें आंदोलन क्यों नहीं किया।
- में प्रकाशित
लेकिन कभी कभी सच्चाई यहाँ तक कि इमाम के ख़ास शियों के लिए भी संदिग्ध हो जाती थी और इमाम सादिक़ अ. से आंदोलन में शामिल होने की अपील करने लगते थे कुलैनी र.अ. ने सुदैरे सहरफ़ी के हवाले से लिखा है: मैं इमाम सादिक़ अ. के पास गया और उनसे कहा ख़ुदा की क़सम जाएज़ नहीं है कि आप आंदोलन न करें! क्यों? इसलिए कि आपके दोस्त शिया और मददगार बहुत ज़्यादा हैं।
आसमान वालों के नज़दीक इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की उपाधि पहले से ही सादिक़ थी।
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हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ का नाम जाफ़र, आपकी कुन्नियत अबू अब्दुल्लाह, अबू इस्माईल और आपकी उपाधियां, सादिक़, साबिर व फ़ाज़िल और ताहिर हैं, अल्लामा मज़लिसी लिखते हैं
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