मासूमीन की हदीसे
हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) के इरशाद
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
किसी नेक काम को ख़ुदनुमाई (दिखलाना) के लिये अन्जाम मत दो और किसी नेक काम को ख़ेजालत (शर्मिन्दगी) की बिना पर तर्क न करो।
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की अहादीस
- में प्रकाशित
मोमिन के तीन लक्षण हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि कोई भी उस समय तक वास्तविक मोमिन नही बन सकता जब तक वह अल्लाह रसूल व इमामों की सुन्नत को न अपना ले।
हज़रत रसूले अकरम के इरशाद
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
अगर तुम से कोई गुनाह सरज़द हो जाए तो उसके बाद नेक काम फ़ौरन करो ताकि (शायद) कुछ तलाफ़ी हो जाये।
जीवन में प्रगति के लिए इमाम सादिक (अ) की नसीहतें
- में प्रकाशित
इमाम सादिक़ (अ) के ज़माने के लोग इमाम (अ) के ज्ञानात्मक और आध्यात्मिक स्थान से भलीभांति परिचित थे इसलिए जब भी उन्हें मुलाक़ात का सौभाग्य प्राप्त होता था तो आपसे नसीहत व उपदेश देने की मांग करते थे। इस्लाम के क़ीमती इल्मी खजानों से एक ख़ज़ाना इमाम सादिक़ (अ) की यही नसीहतें हैं जो आपने समय समय पर की हैं।
हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) के इरशाद
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
मेरा वुजूद (अस्तित्व) ग़ैबत में भी लोगों के लिए ऐसा ही मुफ़ीद (लाभकारी) है जैसे आफ़ताब (सूर्य) बादलों के ओट (पीछे) से।
हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) के इरशाद
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
मुस्कर (नशे वाली चीज़ें) चीज़ों से परहेज़ करो क्योंकि यह तमाम बुराईयों की कुंजी है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की अहादीस
- में प्रकाशित
जो संयम की सवारी पर बैठ जाता है सफलता के मैदान की ओर अग्रसर हो जाता है।
हज़रत फातेमा मासूमा (अ.स) की हदीसे
- में प्रकाशित
हज़रत फातेमा मासूमा (अ.स) हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स) की बेटीयो (फातेमा, ज़ैनब और उम्मेकुलसूम) से नकल करती है और इस हदीस की सनद का सिलसिला हज़रत ज़हरा (स.अ) पर खत्म होता हैः
इमाम सादिक अलैहिस्सलाम की हदीसे
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैय्यदा नूर फातेमा
''मोमिन का शरफ नमाज़े शब और उसकी इज़्ज़त लोगो का तहफ्फुज़ (हिफाज़त) करना है।
हज़रत इमाम मोहम्मद तक़ी (अ.स.) के इरशाद
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
जो शख़्स इस हाल में सुबह करे कि किसी पर ज़ुल्म का ख़्याल भी दिल में न लाये ख़ुदा उसके गुनाहों को दरगुज़र करेगा।
हज़रत इमाम हसन असकरी (अ.स.) के इरशाद
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
जब किसी काम का इरादा करो उसके नताएज (नतीजे का बहु वचन) को सोच लो अगर अच्छा है तो इक़दाम (क़दम बढ़ाओ) करो वरना इज्तेनाब (बचो) करो।
हज़रत इमामे जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) के इरशाद
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
जिन कामों के लिये बाद में माज़ेरत करना पड़े उनसे परहेज़ (बचो) करो।
हज़रत अमीरूल मोमेनीन अलैहिस्सलाम के इरशाद
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
अमानत (धरोहर) की हिफ़ाज़त (रक्षा) में तसाहुली (काहिली) न करो। अमानत में ख़यानत फ़क़्र और तहीदस्ती (ग़रीबी) का बायस (कारण) है।
हज़रते इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ.स.) के इरशाद
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- लेखक:
- मौलाना अदीबुल हिन्दी साहब
- स्रोत:
- अनवार
खाने से पहले हाथ धोने से फ़ख़्र (निर्धनता) कम होता है और खाने के बाद हाथ धोने से ग़ुस्सा (क्रोध) ।