हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा(स)की अहादीस
यहाँ पर अपने प्रियः आध्ययनकर्ताओं के लिए हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) के चालीस मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत किये जारहे हैं।
1- ज्ञान की श्रेष्ठता
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि जो व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति के मार्ग पर चलता है अल्लाह उसके लिए स्वर्ग के मार्ग को खोल देता है। और ज्ञानी को तपस्वी पर इसी प्रकार श्रेष्ठता है जिस प्रकार पूर्णिमा के चन्द्रमा को अन्य सितारों पर।
2-ईरान वासी व धर्म
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अगर धर्म सुरैयाँ नामक सितारे पर भी हो तो ईरान का एक पुरूष उसको प्राप्त करने के लिए वहाँ भी पहुँच जायेगा। या यह कहा कि ईरान वासी वहाँ भी पहुँच जायेंगें।
3-ईरानियों की धर्म आस्था
जब पैगम्बर पर सुरा-ए- जुमा नाज़िल हुआ (उतरा) और पैगम्बर इस सुरेह को पढ़ते हुए इस आयत पर पहुँचे कि -(व आख़ीरीना मिन हुम लम्मा यलहक़ुबिहिम) तो एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि इस से कौन लोग मुराद हैं ? उसने अपने इस प्रश्न को कई बार दोहराया परन्तु पैगम्बर ने कोई उत्तर न दिया। उल्लेखकर्ता कहता है कि हमारे मध्य सलमाने फ़ारसी उपस्थित थे पैगम्बर ने उसका हाथ उनके काँधे पर रखा तथा कहा कि अगर धर्म सुरैयां नामक सितारे पर भी पहुँच जाये तो इसके देशवासी वहाँ भी पहुँच जायेंगे।
4-शिफ़ाअत
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि मैं क़ियामत के दिन चार समुदायों की शिफ़ाअत करूँगा।
क-अपने अहलेबैत के मित्रों की
ख-जिन लोगों ने विपत्ति के समय मेरे अहलेबैत की आवश्यक्ताओं की पूर्ति की होगी।
ग-जो लोग दिल व जबान से मेरे अहलेबैत के मित्र रहे होंग।
घ-जिन्होंने मेरे अहलेबैत की सुरक्षा की होगी।
5-कथन व कर्म
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अल्लाह केवल उन कथनों को स्वीकार करेगा जिनके अनुसार कार्य भी किये गये होंगे। और केवल उन कथनों व कार्यों को स्वीकार करेगा जो निःस्वार्थ किये गये होंगें। तथा इन सबके अतिरिक्त यह भी कि वह सुन्नतानुसार किये गये हों।
6- नरक की आग का हराम होना
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि क्या मैं आपको उससे परिचित कराऊँ जिस पर नरक की आग हराम है? सबने उत्तर दिया कि हाँ पैगम्बर ने कहा कि जिस व्यक्ति मे गंभीरता,विन्रमता तथा दूसरों के लिए सरलता की भावना जैसे गुन पाये जायेंगे उस पर नरक की आग हराम है।
7- अत्याचारी के लक्षण
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अत्याचारी के अन्दर चार लक्षण पाये जाते हैं।
क- अपने से ऊपर वालों की अज्ञा की अवहेलना करता है।
ख- अपने से नीचे वालों कों कड़ाई के साथ आदेश देता है।
ग- हक़ (वास्तविक्ता) से ईर्शा रखता है।
घ- खुले आम अत्याचार करता है।
8- धार्मिक ज्ञान
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि धार्मिक ज्ञान के तीन विभाग हैँ।
क-आस्था से सम्बन्धित सिद्धान्तों का ज्ञान (उसूले दीन)
ख-सदाचार का ज्ञान (अखलाक़)
ग-धार्मिक निर्देशों का ज्ञान (फ़िक़्ह)
9-बिना ज्ञान
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि जो बिना ज्ञान के धार्मिक निर्देश देता है वह स्वंय भी मरता है तथा दूसरों को भी मारता है।
10-रोज़ेदार का सोना
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि रोज़े दार अगर सो भी जाये तो उस का सोना इबादत है। इस शर्त के साथ कि वह किसी मुस्लमान की चुगली न करे ।
11-अल्लाह का मास
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि रमज़ान अल्लाह का मास है इसमे पुण्य दो गुने हो जाते हैं व पाप मिट जाते हैं। यह मास पापों के परायश्चित करने तथा मुक्ति पाने का मास है।यह मास नरक से बचने तथा स्वर्ग प्राप्त करने का मास है
12- साबिर की निशानिया( लक्षण)
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि साबिर व्यक्ति की तीन निशानियाँ (लक्षण) हैं ।
(1) आलस्य नही करता -क्योंकि अगर आलस्य करेगा तो हक़ को खो देगा।
(2)दुखित नही होता क्योंकि अगर दुखित होगा तो अल्लाह का धन्यवाद नही कर सकेगा।
(3) गिला नही करता क्योंकि गिला करना अल्लाह की अज्ञा की अवहेलना है।
13-दुर्गन्ध
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अपने ज्ञानानुसार व्यवहार न करने वाले ज्ञानी के शरीर से नरक मे ऐसी दुर्गन्ध फैलेगी जिससे समस्त नरकवासी दुखीः हो जायेंगें। तथा सबसे बुरा नरकीय व्यक्ति वह होगा जो संसार मे दूसरों को अच्छे कार्य करने के लिए निर्देश देता था परन्तु स्वंय अच्छे कार्य नही करता था। मनुष्य उसके कहने से अच्छे कार्य करके स्वर्ग प्राप्ति मे सफल हो गये परन्तु उसे नरक मे डाल दिया गया।
14- संसारिक मोहमाया
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अल्लाह ने दाऊद नामक नबी को संदेश दिया कि अपने और मेरे मध्य संसारिक मोह माया मे लिप्त ज्ञानीयों को वास्ता न बनाना। क्योंकि वह आपको मेरी मित्रता से दूर कर देंगें।वह मुझे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को मार्ग मे ही लूट लेते हैं। मैं उनके साथ सबसे छोटा व्यवहार यह करता हूँ कि उनसे अपनी इबादत के आनंद को छीन लेता हूँ।
15- परलोक का चुनाव
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अगर तुम परलोक की अच्छाईयों व बुराईयों पर इसी प्रकार विशवास करते जिस प्रकार संसार पर विशवास रखते हो तो अपने लिए परलोक को चुन लेते।
16- चार प्रश्न
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि क़ियामत के दिन कोई भी व्यक्ति आगे नही बढ़ सकता जब तक उससे निम्ण लिखित चार प्रश्न न पूछ लियें जायें।
क - अपनी आयु को किन कार्यो मे व्यतीत किया?
ख- अपनी जवानी मे क्या व्यर्थ कार्य किये?
ग - धन कहाँ से प्राप्त किया तथा कहाँ व्यय किया?
घ - तथा आन्तिम प्रश्न मेरे अहले बैत (वंश) की मित्रता के सम्बन्ध मे किया जायेगा।
17- अल्लाह का प्रेम
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अल्लाह अपने उस बन्दे से प्रेम करता है जो अपने कार्यों को दृढता प्रदान करता है।
18- मृत्यु
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि मनुष्य इस संसार मे सोया रहता है जब मृत्यु होती है तो जागता है।
19- सात कार्य
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि सात कार्य ऐसे हैं कि अगर कोई व्यक्ति उन मे से किसी एक को भी करे तो उस को मरने के बाद उन सातों कार्यों का बदला दिया जायेगा। वह कार्य निम्ण लिखित हैं।
क- वृक्ष लगाना।
ख- कुआ खोदना।
ग- नहर खुदवाना।
घ- मस्जिद बनवाना।
ङ- कुऑन का लिखना।
च- किसी ज्ञान की खोज करना।
छ- ऐसी संतान छोड़ना जो उसके लिए परायश्चित करे।.
20-प्रसन्नता
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि प्रसन्नता है उस व्यक्ति के लिए जिसके स्वंय के पाप उसको अपने दूसरे ईमानदार भाईयों के पापों को प्रकट करने से रोकते हों। प्रसन्नता है उस व्यक्ति के लिए जो दानशील हो तथा खर्च से अधिक देता हो और अपने आप को व्यर्थ बोलने व व्यर्थ कार्यों से रोकता हो।
21-आले मुहम्मद(पैगम्बर का वंश) की मित्रता
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि-----
क - जो व्यक्ति आले मुहम्मद से प्रेम करता हुआ मरा वह शहीद है।
ख - जान लो कि जो व्यक्ति आले मुहम्मद से प्रेम करता हुआ मरा वह क्षमा किया हुआ मरा।
ग - जान लो कि जो आले मुहम्मद से प्रेम करता हुआ मरा वह परायश्चित किया हुआ मरा।
घ - जान लो कि जो आले मुहम्मद से प्रेमं करता हुआ मरा वह अपने पूर्ण ईमान के साथ मरा।
ङ - जान लो कि जो आले मुहम्मद से ईर्शा करता हुआ मरा क़ियामत के दिन उसके माथे पर लिखा होगा कि यह अल्लाह की दया व कृपा से निराश व हताश है।
च - जान लो कि जो आले मुहम्मद से ईर्शा करता हुआ मरा वह स्वर्ग की सुगन्ध भी नही पासकता।(अर्थात वह स्वर्ग मे नही जासकता)
22-नरकीय स्त्री
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अपने पति को बुरा भला कहने वाली स्त्री जब तक अपने पति को प्रसन्न न करले अल्लाह उसके परायश्चित के रूप मे किसी भी कार्य को स्वीकार नही करेगा।। चाहे वह पूरे दिन रोज़ा रखे तथा पूरी रात्री इबादत ही क्यों न करे। तथा सर्व प्रथम ऐसी ही स्त्री को नरक मे डाला जायेगा। और इसी प्रकार का व्यवहार उन पुरूष के साथ किया जायेगा जो अपनी पत्नी पर अत्याचार करते हैं।
23-बुरी स्त्री
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि ऐसी स्त्रीयों का कोई भी पुण्य स्वीकार नही किया जायेगा जो अपने पति का सत्कार नही करतीं व उनको ऐसे कार्यों के लिए बाध्य करती हैं जिसकी वह सामर्थ्य नही रखते। तथा जब वह अल्लाह के सम्मुख जायेगीं तो उसके क्रोध का सामना करेगीं।
24-अकारण की गई हत्या
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि क़ियामत के दिन सर्व प्रथम अकारण की गई हत्याओं की सुनवाई होगी।
25-नरकीय स्त्रीयाँ
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि शबे मेराज(वह रात्री जिस मे पैगम्बर आकाशों की यात्रा पर गये) मैंने नरक मे एक स्त्री को देखा जिसको दण्डित किया जारहा था। मैंने उसके अपराध के बारे मे प्रश्न किया तो बताया गया कि इसने एक बिल्ली को बांध कर रखा और उसको खाने पीने के लिए कुछ नही दिया जिस कारण वह भूखी मर गयी। इसी कारण इस को दण्डित किया जा रहा है।
इसके बाद मैने सवर्ग मे एक ऐसी स्त्री को देखा जो संसार मे पापों मे लिप्त थी। मैंने उसके स्वर्ग मे आने के कारण को पूछा तो बताया गया कि एक बार यह एक ऐसे कुत्ते के पास से गुज़री जिस की जीभ प्यास के कारण बाहर निकली हुई थी। इस ने कपड़े को उतार कर कुएं मे डाल कर भिगोया तथा फिर उसको कुत्ते के मुहँ मे निचौड़ कर उसकी प्यास बुझाई इसी कारण इसके समस्त पाप क्षमा कर दिये गये।
26-मनुष्यों की इबादत
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि क़ियामत के दिन समस्त मनुष्य यह आवाज़ सुनेंगें कि कहाँ हैं वह लोग जो मनुष्यों की इबादत करते थे। उठो और उन से अपने कार्यों का बदला ले लो क्योंकि अल्लाह उस कार्य को स्वीकार नही करता जो संसार व संसार वासियों के लिए किया गया हो।
27-संसारिक मोह माया
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि क़ियामत के दिन जब एक समुदाय हिसाब किताब के लिए लाया जायेगा तो उनके पुण्य पहाड़ के समान होंगें परन्तु आदेश दिया जायेगा कि इनको नरक मे डाल दो। पैगम्बर के साथी प्रश्न करेंगे कि क्या यह नमाज़ नही पढ़ते थे? पैगम्बर उत्तर देंगें कि यह लोग नमाज़ भी पढ़ते थे तथा रोज़ा भी रखते थे और रात्री के समय भी इबादत करते थे परन्तु इनके दिलो मे संसारिक मोह माया थी तथा सदैव उसको प्राप्त करने के लिए तत्पर रहते थे।
28-जिससे प्रेम किया
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि क़ियामत के दिन प्रत्येक व्यक्ति उसके साथ होगा जिससे वह संसार मे प्रेम करता था।
29-अली से मित्रता
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अगर कोई यह चाहे कि मेरे साथ जीवन यापन करे मेरे साथ मरे तथा स्वर्ग के बाग मे स्थान प्राप्त करे तो उसको चाहिए कि मेरे बाद आदरनीय अली व उनके मित्रों से मित्रता करे। तथा मेरे बाद मेरे वंश के लोगों का अनुसरण करे क्योंकि वह दार्शनिक व ज्ञानी हैं तथा उनमे मेरा स्वभव पाया जाता है।और धिक्कार है ऐसे लोगों पर जो उनकी श्रेष्ठता को स्वीकार न करे व उनसे मेरे सम्बन्ध को काट दे। अल्लाह ऐसे व्यक्तियों को मेरी शफाअत प्राप्त न होने देगा।
30-अली से प्रेम
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि मुझे नबी बनाने वाले की सौगन्ध अगर तुम्हारे दिलों मे अली का प्रेम न हुआ तो पहाड़ के समान भी पुण्य लेकर परलोक मे जाओगे तो नरक मे डाल दिये जाओगे।
31-बीमारी
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि जब कोई मुसलमान बीमार होता है तो अल्लाह उसके हिसाब मे उन समस्त पुण्यों को लिख देता है जो वह स्वास्थय की अवस्था मे करता था। तथा उसके सब पाप इस तरह समाप्त हो जातें हैं जैसे वृक्ष से सूखे पत्ते गिर जाते हैं।
32-मुसलमान नही है
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि जो व्यक्ति सुबह उठ कर मुसलमानों के कार्यों के बारे मे विचार न करे या किसी साहयता माँग रहे मुसलमान की साहयता न करे तो वह मुसलमान नही है।
33-ईरानीयों का अन्त
ईरानीयों के एक मुसलमान दूत ने पैगम्बर से सवाल किया कि हम ईरानियों का अन्त किस के साथ होगा? पैगम्बर ने उत्तर दिया कि तुम लोग हम मे से हो तथा तुम लोगों का अन्त मेरे व मेरे परिवार के साथ होगा। इब्ने हश्शाम नामक एक एक इतिहासकार ने उल्लेख किया है। कि यही वह समय था जब पैगम्बर ने कहा था कि सलमान हमारे अहलेबैत मे से है।
34-विश्वासघात
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अगर कोई मुसलमान यह जानते हुए भी कि मुसलमानों के मध्य मुझ से श्रेष्ठ मौजूद हैं, अपने आप को आगे बढ़ाये तो ऐसा है जैसे उसने अल्लाह, पैगम्बर तथा समस्त मुसलमानों से विश्वासघात किया हो।
35-अल्लाह के मार्ग पर लाना
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम से कहा कि अगर आपके द्वारा एक व्यक्ति भी अल्लाह के रास्ते पर आगया तो वह इस से अधिक अच्छा है कि आप पूरे संसार पर शसन करें।
36-दुआ स्वीकार नही होगी
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि मानव पर एक ऐसा समय आयेगा कि वह संसारिक मोहमाया मे फस जायेंगें। बाहर से वह नेक लगेगें परन्तु भीतर से दुष्ट होगें वह अल्लाह के प्रति अपने प्रेम को प्रकट नही करेगें उनका धर्म केवल दिखावे के लिए होगा। उनके दिलों मे नाम मात्र को भी अल्लाह का भय न होगा। अल्लाह ऐसे लोंगों को कठोर दण्ड देगा और अगर वह डूबते व्यक्ति के समान भी दुआ करेगें तो उनकी दुआ स्वीकार नही होगी।
37-अबूज़र
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि आकाश व पृथ्वी के मध्य अबुज़र(पैगम्बरके एक साथी का नाम) से सत्य कोई नही है।
38-ज्ञानी बुद्धिजीवि व दरिद्र
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि ज्ञानियों से प्रश्न करो बुद्धिजीवियों से बातें करो तथा दरिद्रों के साथ बैठो।
39-हाथोँ का चूमना
एक व्यक्ति ने हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) के हाथ चूमने की चेष्टा की तो पैगम्बर ने अपने हाथों को पीछे की ओर खींच लिया। तथा कहा कि अजमवासी (अरब के अलावा पूरा संसार) यह व्यवहार अपने राजाओं के साथ करते हैं। मैं राजा नही हूँ मैं तो आप ही मे से एक व्यक्ति हूँ।
40-पड़ोसी का भूका होना
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि जो व्यक्ति भोजन करके सोये इस स्थिति मे कि उसका पड़ोसी भूका हो तथा इसी प्रकार उस बस्ती के वासी जिस मे कुछ लोग भूखे हों तथा शेष भोजन करके सोजायें वह मुझ पर ईमान नही लाये। तथा क़ियामत के दिन अल्लाह ऐसे व्यक्तियों पर दया नही करेगा।