शुबहात तथा उनके जवाबात
क्या पैग़म्बरे इस्लाम पर सलाम पढ़ना शिर्क है?
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- लेखक:
- ताजदार हुसैन ज़ैदी
- स्रोत:
- टी वी शिया
यह आयतें साफ़ बता रही हैं कि नबियों पर सलाम करना कोई शिर्क नहीं है तो अगर एक आम नबी पर सलाम करना क़ुरआन के अनुसार शिर्क नहीं है तो वह पैग़म्बर जो सबसे बड़ा नबी है,
हमारी कहानियाँ
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- लेखक:
- मौलाना पैग़म्बर नौगांवी
अशाएरा या अहले हदीस के यहाँ सिर्फ़ हदीस काफ़ी है चाहे कैसी ही क्यों न हो, अक़ल का कोई दख़ल नहीं है, जबकि मोतज़ला के यहाँ अक़ल ही सब कुछ है, यह लोग हदीस की तावील भी अपनी अक़ल के मुताबिक़ कर ड़ालते हैं, लेकिन शियों के यहाँ ऐतदाल पाया जाता है।
मुसलमान मांस क्यों खाते हैं?
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- स्रोत:
- इस्लामी वेब दुनिया
शाकाहार ने अब संसार भर में एक आन्दोलन का रूप ले लिया है। बहुत से लोग तो इसको जानवरों के अधिकार से जोड़ते हैं। निस्संदेह लोगों की एक बड़ी संख्या मांसाहारी है और अन्य लोग मांस खाने को जानवरों के अधिकारों का हनन मानते हैं।
जब इमाम हुसैन को पता था कि कर्बला में क्या होगा तो वह गये ही क्यों?
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इंसान का दायित्व केवल इतना नहीं है कि वह अपने शरीर की जो समाप्त हो जाने वाला है सुरक्षा करे बल्कि इंसान का दायित्व इससे कहीं बड़ा है,
कुरआने करीम की किस दलील की बुनियाद पर अज़ादारी मनाना चाहिऐ?
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बेशक खुदा वंदे आलम ने हमे मुन्तखब किया है और एक ऐसे गिरोह का इंतेकाब किया है कि जो हमारी मदद करे और वो हमारी खुशी मे खुश हो और हमारे ग़मो मे ग़मगीन हो
कुरआने करीम मे इमामो के नाम
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अहले सुन्नत का ये दावा ग़लत है कि अगर तुम्हारे इमाम हकीकी है तो उनका नाम कुरआन मे क्यो नही आया है।
मुनाज़ेरा ए इमाम सादिक़ अ.स.
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- लेखक:
- रियाज़ हैदर बारहवी
इब्ने अबी लैला से मंक़ूल है कि मुफ़्ती ए वक़्त अबू हनीफ़ा और मैं बज़्मे इल्म व हिकमते सादिक़े आले मुहम्मद हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस सलाम में वारिद हुए।
क़ुरआन मे तहरीफ नही हुई
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- लेखक:
- आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी
- स्रोत:
- इस्लाम के मूल सिध्दांत
निश्चित रूप से स्मरण को उतारा है और हम ही उसकी सुरक्षा करने वाले हैं।
शफाअत का अर्थ
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- लेखक:
- आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी
- स्रोत:
- इस्लाम के मूल सिध्दांत
अरबी भाषा में शफाअत के शब्द को आम तौर पर इस अर्थ में प्रयोग किया जाता हैं कि प्रतिष्ठित व्यक्ति, किसी सम्मानीय व बड़े आदमी से किसी अपराधी को क्षमा कर देने की अपील करे या किसी सेवक के इनाम को बढ़ा दे।
कलावा ---- देवी देवताओं की यादगार
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- लेखक:
- मौलाना पैग़म्बर नौगांवी
लेकिन अफ़सोस ! हुसैन टीकरी (जावरा, रतलाम) के ज़रिए देवी देवताओं की ये यादगार नादान और कजफि़क्र शियों के यहाँ तक पहुँच गई, हुसैन टीकरी हिन्दू अक़ीदतमंद भी बड़ी तादाद में पहुँचते हैं,
ज़ुहुर या विलादत
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अगर किसी के पैदा होने पर लफ़्जे ज़ुहुर का इस्तेमाल होगा तो जब आखरी इमाम (अ.स.) का असलीयत मे ज़ुहुर होगा तो उस वक़्त क्या कहेगें??????
मुसलमान जानवरों को धीरे-धीरे कष्ट देकर क्यों ज़बह करते हैं?
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- स्रोत:
- इस्लामी वेब दुनिया
जानवरों को ज़बह करने के इस्लामी तरीके़ पर जिसे ‘ज़बीहा’ कहा जाता है, बहुत से लोगों ने आपत्ति की है। इस संबंध में हम निम्न बिन्दुओं पर विचार करते हैं जिनसे यह तथ्य सिद्ध होता है कि ज़बह करने का इस्लामी तरीक़ा मानवीय ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी श्रेष्ठ है—
क्यों हराम है सुअर का गोश्त
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- स्रोत:
- इस्लामी वेब दुनिया
जानिए इस्लाम में इसका मांस खाना क्यों हराम है और सुअर का मांस खाने से कितनी बीमारियां होती हैं।
इस्लाम में मुतआ और चार शादियों का स्थान
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कुछ लोग ज्ञान की कमी के कारण वहाबी लोगों की बातों को दोहराते हैं और कहते हैं कि मुतआ मर्दों की शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति और अलग अलग महिला की चाहत के लिए हलाल किया गया है और यह एक प्रकार की अशलीलता है।
शफाअत के नियम
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- लेखक:
- आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी
- स्रोत:
- इस्लाम के मूल सिध्दांत
निष्कर्ष यह निकला की मुख्य सिफारिश करने वाले के लिए ईश्वर की अनुमति के........
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