अख़लाकी लेख
झूठ क्यों नहीं बोलना चाहिए
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैयद मज़हर अली
सबसे पहले ज़रूरी है कि इस ख़तरनाक बीमारी में फंसे लोगों को इसके ख़तरनाक रूहानी, दुनियावी और इंडिविजुअल व समाजी नुक़सानों और असर के बारे में बताया जाए।
गुद मैथुन इस्लाम की निगाह मे
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- डा. मौहम्मद तक़ी अली आबेदी
- स्रोत:
- इस्लाम और सेक्स
“ जब किसी क़ौम में गुद मैथुन की ज़्यादती हो जाती है तो खुदा उस क़ौम से अपना हाथ उठा लेता है और उसे इसकी परवाह (ख्याल) नही होती कि यह क़ौम किसी जंगल में हल़ाक कर दी ..
हस्त मैथुन जवानी के लिऐ खतरा
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- डा. तकी अली आबदी
- स्रोत:
- इस्लाम और सेक्स
वह मज़ा जिससे शर्मिन्दगी (लज्जा) मिले। वह सेक्स और इच्छा जिससे दर्द में बढोतरी हो , उसमे कोई अच्छोई नही है ..
अपनी परेशानी लोगों से न कहो
- में प्रकाशित
मुझ पर इतना कर्ज़ है और मैं नहीं जानता की किस तरह अदा करूँ, ख़र्च है मगर आमदनी का कोई वसीला नहीं। मजबूर हो चुका हूँ क्या करूं कुछ समझ मे नहीं आता, मैं हर ख़ुले हुए दरवाज़े पर गया मगर मेरे जाते ही वो दरवाज़ा बन्द हो गया।
ख़ड़ा डिनर है ग़रीबुद्दयार खाते हैं
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मौलाना पैग़म्बर नौगांवी
बचपन में बारहा देखा है कि अगर फ़क़ीर दरवाज़े पर आजाता तो खाने का सवाल करना न भूलता और घर वाले भी फ़राख़ दिली से फ़क़ीर के लिए खाना भेज देते, वह बेचारा इतना भूका होता कि दिया हुआ खाना खड़े खड़े ही चट कर जाता, उधर तो उसकी भूक और दूसरी जानिब यह बेबसी कि एक हाथ पर खाने की पलेट रख कर दूसरे हाथ से रोटी तोड़ कर लुक़मा बनाना और उसको मुँह तक लेजाना दुश्वार मरहला होता था, यह सब बातें हमारे लिए हैरत का सबब बन जातीं जिस में रहम भी पाया जाता, उस बेचारे की यह हालत देखी ना जाती।
धार्मिक प्रवचनों को केवल कहानियों की तरह न सुने
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- एस एम मासूम
यही कारण है की हम दोस्तों के बीच बैठ के ,ईमानदारी, सत्यवचन, संस्कारों की बात कर के भगवान के अवतारों, पैगम्बरों के किस्से बयान कर के खुद को बड़ा धार्मिक तो साबित करते हैं
हसद
- में प्रकाशित
इस्लामिक शिक्षाओं में हसद के एलाज के क्या रास्ते दर्शाए गए हैं? इसके जवाब में कहा जा सकता है कि इस्लाम ने हसद के एलाज के लिए विभिन्न रास्ते सुझाए हैं।
इस्लाम शान्ति पसन्द है
- में प्रकाशित
हलाले मुहम्मदी हलाल है क़्यामत तक और हरामें मुहम्मदी हराम है क़्यामत तक
सुशीलता
- में प्रकाशित
एकेश्वरवादी दृष्टिकोण कारण बनता है कि दूसरों के प्रति हम जो बैर रखते हैं उसे भुला दें,
सिलये रहम
- में प्रकाशित
धार्मिक बंधुओं से भेंट करना वह चीज़ है जिसकी इस्लाम में बहुत अनुशंसा की गयी है। क्योंकि एक दूसरे के मिलने से मनमोटाव समाप्त हो जाता है, हृदय प्रफुल्लित हो जाता है
सलाह व मशवरा
- में प्रकाशित
इस राब्ते की वजह से मुसलमानों के आपसी ताल्लुक़ात बढ़ने चाहिए। यानी मुसलमानों तमाम रिश्तों को छोड़ते हुए भी सलाह मशवरे की बुनियाद पर एक दूसरे से राब्ता रखने और अपने ताल्लुक़ात बढ़ाने पर मजबूर हैं।
सम्मोहन एवं बुद्धिमत्ता
- में प्रकाशित
एक लड़का था जिसे यह नहीं ज्ञात था कि चोरी किसे कहते हैं। उसे तला हुआ अंडा या अंडायुक्त भोजन बहुत पसंद था। एक दिन जब उसे तला अंडा खाने की बहुत अधिक इच्छा हुई
मानव की आत्मा की स्फूर्ति के लिए आध्यात्म एक मूलभूत आवश्यकता है
- में प्रकाशित
रोज़े का एक रोचक उपहार मन की शांति है। मन की यह शांति ऐसा बहुमूल्य अमृत है
भोर में उठने से आत्मा को आनन्द एवं शान्ति प्राप्त होती है
- में प्रकाशित
इस्लाम के बड़े-बड़े महापुरूषों तथा विद्धानों के जीवन पर यदि एक दृष्टि डाली जाए तो हमें ज्ञात होगा कि वे सब ही भोर समय उठा करते थे
बदकारी
- में प्रकाशित
जो लोग इस बातो को दोस्त रखते हैं कि ईमान वालों के दरमियान बदकारी और बे हयाई फ़ैलाएँ तो उन के लिये दर्दनाक अज़ाब (सज़ा) है।
बच्चों के साथ रसूले ख़ुदा (स.) का बर्ताव
- में प्रकाशित
माँ-बाप का फ़रीज़ा जहाँ अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करना है वहीं उनके साथ खेलना और उन को ख़ुश रखना भी है।