विभिन्न
इस्लाम धर्म की खूबी
- में प्रकाशित
'उस ने तुम्हारे लिए धर्म का वही रास्ता निर्धारित किया है जिस को अपनाने का नूह को आदेश दिया था और जिसकी (ऐ मुहम्मद!) हम ने तुम्हारी ओर वह्य भेजी है और जिसका इब्राहीम, मूसा और र्इसा को आदेश दिया था
क्या हम वास्तव में शिया हैं?
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
- स्रोत:
- tvshia.com
हे शियों! तुम हमसे जुड़े हो तो हमारे लिये इज्ज़त का कारण बनों जिल्लत का नहीं।
अहलेबैत (अलैहिमुस्सलाम) से तवस्सुल
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- सकीना बानौ अलवी
- स्रोत:
- tvshia.com
जिस प्रकार ख़ुदा के पैग़म्बर समस्याओं और परेशानियों में ख़ुदा के सामने अहलेबैत (अ) को अपना माध्यम बनाते थे और उनके नाम का वास्ता देकर पुकारते थे, उसी प्रकार हमको भी अपनी मुश्किलों और कठिनाइयों (कि जिस में हमारी सबसे बड़ी मुश्किल इमामे ज़माना (अ) की ग़ैबत है) मे इन मासूमों को ख़ुदा को वास्ता देकर पुकारें।
शेख़ शलतूत का फ़तवा
- में प्रकाशित
इस्लाम धर्म ने अपने अनुयाईयों में से किसी को भी किसी ख़ास धर्म का अनुसरण करने के लिए बाध्य नही किया है
मलंग कौन शिया या सुन्नी
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- मौलाना मौहम्मद अली मोहसीन तक़वी (देहली)
अभी कुछ दिनों से यह सुनने में आ रहा है की शियो में कुछ जवान अपने आप को मलंग कहने लगे हैं सुनने में ये भी आया है की कुछ लोग उनमे से सिरिया गए थे वहां से अपने कानो में बुँदे पहन कर वापस आये और आने के बाद अपने बारे में मलंग होने का एलान कर रहे हैं।
शहादते सालेसा और नमाज़
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- मौलाना मौहम्मद अली मोहसीन तक़वी (देहली)
शहादत सालेसा का नमाज़ में पढ़ना कैसा है यह समझने के लिये हमें यह देखना होगा की शहादते सालेसा खुद क्या है ?
हज
- में प्रकाशित
9 ज़िल्हिज्ज को जो अरफ़े का दिन है, प्रार्थना का दिन कह सकते हैं। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्हें हज करने और अरफ़ात के मरूस्थलीय मैदान में उपस्थित होने का सुअवसर मिला है
अद्ल
- में प्रकाशित
-
- स्रोत:
- erfan.ir
उसूले दीन में अद्ल को तौहीद के बाद शुमार किया जाता है। अद्ल से मुराद यह है कि अल्लाह आदिल (इंसाफ़ वाला) है और किसी पर ज़ुल्म नही करता। ख़ुदा वंदे आलम अद्ल, नबुव्वत, इमामत, क़यामत, जज़ा (ईनाम) व सज़ा, अहकाम की हिकमतों और तमाम कामों से मुतअल्लिक़ है लिहाज़ा अगर ख़ुदा के अदल को न माना जाये को बहुत से इस्लामी मसायल हल नही हो पायेगें।
क़ज़ा व क़दर अर्थात भाग्य पर विश्वास के प्रभाव
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी
- स्रोत:
- इस्लाम के मूल सिध्दांत
तुम पर जब भी कोई मुसीबत आती है तो वह स्पष्ट रुप से किताब मे लिखी हुई होती ................................
पाप या ग़लती का अज्ञानता व सूझबूझ से गहरा संबंध
- में प्रकाशित
ईश्वरीय दूतों का इस लिए पापों से दूर रहना आवश्यक है क्योंकि यदि वे लोगों को पापों से दूर रहने की सिफारिश करेगें किंतु स्वंय पाप करेंगे तो उनकी बातों का प्रभाव नहीं रहेगा जिससे उनके आगमन का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।
इस्लाम और सेक्योलरिज़्म एक तुलनात्मक जाएज़ा
- में प्रकाशित
इस्लाम और सिक्योलरिज़्म आज की दुनिया के दो महत्वपूर्ण दृष्टिकोण (नज़रियात) हैं और इन्हीं की वजह से आज दुनिया दो गुरूप में विभाजित है।
क़ब्रे पैग़म्बर व आइम्मा की ज़ियारत
- में प्रकाशित
यह बात क़ाबिले ग़ौर है कि ज़ियारत को इबादत नही समझना चाहिए
अज़मते काबा क़ुरआन के आईने में
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- ज़ैनुल आबेदीन
पहला घर जो लोगों की इबादत के लिये मुक़र्रर किया गया था वह यही है बक्का में, जो बा बरकत और सारे
ईश्वर को कहां ढूंढे?
- में प्रकाशित
मनुष्य के पैदा करने का उद्देश्य बताया गया है अर्थात ईश्वर की उपासना को जीवन का ध्येय