अशआर
नमाज़
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- - "सलमान रिज़वी सिरसिवी"
फ़ज़ीलतों पे फ़ज़ीलत नसीब होती है, नमाज़ पढ़ने से इज़्ज़त नसीब होती है।।
फातेमा बिन्ते असद का आज दिलबर आ गया
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैयद मौहम्मद मीसम नक़वी
बोला काबा आज शेरे रब्बे अकबर आ गया
ताजे लताफत हैं फातेमा
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- जनाब वासिफ आबदी सहारनपुरी
मरयम का फख्ऱ एक झलक सी दिखा गया। ज़हरा का अक्स ज़हने रसा मे समा गया।
इल्म
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- जनाब वासिफ आबदी सहारनपुरी
इल्म आता है ज़माने मे मौहम्मद बन कर................................
जवाबे शिकवा
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- अल्लामा इक़बाल
- स्रोत:
- रेख्ता
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
शिकवा
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- अल्लामा इक़बाल
- स्रोत:
- रेख्ता
क्यूँ ज़याँ - कार बनूँ सूद - फ़रामोश रहूँ फ़िक्र - ए - फ़र्दा न करूँ महव - ए - ग़म - ए - दोश रहूँ
मुसलमाँ के लहू में है सलीक़ा दिल-नवाज़ी का
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- अल्लामा इक़बाल
- स्रोत:
- रेख्ता
मुरव्वत हुस्न-ए-आलम-गीर है मर्दान-ए-ग़ाज़ी का..
किस शेर की आमद है कि रन काँप रहा है
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मिर्जा दबीर
- स्रोत:
- रेख्ता
किस शेर की आमद है कि रन काँप रहा है रुस्तम का जिगर ज़ेर-ए-कफ़न काँप रहा है
किस नूर की मज्लिस में मिरी जल्वागरी है
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मिर्ज़ा दबीर
- स्रोत:
- रेख्ता
लिखा है कि थी हज़रत-ए-शब्बीर को आदत होती थी नमाज़-ए-सहरी से जो फ़राग़त पहले अली अकबर ही को बुलवाते थे हज़रत फ़रमाते थे करता हूँ इबादत में इबादत रौशन हो न क्यूँ चश्म-ए-हुसैन इब्न-ए-अली करता हूँ ज़ियारत में जमाल-ए-नुब्वी की
कोई 'अनीस' कोई आशना नहीं रखते
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- मीर अनीस
- स्रोत:
- रेख्ता
जो तोशा-ए-सफ़र-ए-कर्बला नहीं रखते
जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैय्यद मौहम्मद मीसम नकवी
जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- अल्लामा इक़बाल
हो मेरे दम से यूँही मेरे वतन की ज़ीनत जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत
सलाम
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- जनाब मौहम्मद अहमद सिरसीवी
हाथो पा शह के रन को जो नूरे नज़र गये। ज़ुल्मो जफ़ाओ जौर के चेहरे उतर गये।
मौत की आग़ोश में जब थक के सो जाती है माँ
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- जनाब रज़ा सिरसीवी
भूखा रहने ही नहीं देती यतीमों को कभी जाने किस किस से, कहाँ से माँग कर लाती है माँ
फज़ीलतो का समन्दर बतूल हैं
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैय्यद मौहम्मद अहमद नक़वी सिरसीवी
हक़ को है जिसपे नाज़ वो गौहर बतूल हैं........