महीने की मुनासेबतें
ईदे मुबाहेला और जनाबे फ़ातेमा ज़हरा
- में प्रकाशित
ऐ पैग़म्बर, ज्ञान के आ जाने के बाद जो लोग तुम से कट हुज्जती करें उनसे कह दीजिए कि (अच्छा मैदान में) आओ, हम अपने बेटे को बुलायें तुम अपने बेटे को और हम अपनी औरतों को बुलायें और तुम अपनी औरतों को और हम अपनी जानों को बुलाये और तुम अपने जानों को, उसके बाद हम सब मिलकर ख़ुदा की बारगाह में गिड़गिड़ायें और झूठों पर ख़ुदा की लानत करें।
शक़्क़ुलक़मर
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- अलहसनैन इस्लामी नैटवर्क
चाँद टुकड़े टुकड़े हो गया और अगर ये (काफिर) हमारी कोई निशानी देखते हैं तो मुंह फेर लेते हैं
ईदुल अज़हा, बंदगी और त्याग की ईद
- में प्रकाशित
ईदुल अज़हा उस ईश्वरीय दूत के अस्तित्व में ईमान तथा प्रेम की चरम सीमा दर्पण है जो अपने महान आध्यात्मिक विचारों के प्रकाश की छत्रछाया में एक कठिन परीक्षा में पड़े।
ईदे क़ुरबान
- में प्रकाशित
वह इब्राहीम के पवित्र तथा विशुद्ध पंथ का अनुयाई हो, अल्लाह ने इब्राहीम को अपना घनिष्ठ मित्र चुना था।"
ईदे ज़हरा ???
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- मौलाना पैग़म्बर नौगांवी
बाज़ लोग कहते हैं कि 9 रबी उल अव्वल को हज़रत फ़ातेमा (अ0स0) ज़हरा का दुश्मन हलाक हुआ था, लेहाज़ा यह ख़ुशी का दिन है इसी वजह से इस रोज़ को ‘‘ईदे ज़हरा‘‘ के नाम से जाना जाता है।
सबसे बड़ी ईद
- में प्रकाशित
पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा, ईश्वर मेरा संरक्षण एवं सरपरस्त है और मैं धर्म में आस्था रखने वालों का सरपरस्त हूं, अतः जिस जिसका भी मैं संरक्षक व सरपरस्त हूं अली उसके संरक्षक व सरपरस्त हैं।
25 ज़ीक़ाद ईदे दहवुल अर्ज़
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- शेख अब्बास क़ुम्मी
आज ही की रात मे खानाऐ काबा के नीचे पानी पर ज़मीन बिछाई गई और जो शख्स इस दिन रोज़ा रखे तो वो ऐसा है जैसे उसने 60 महीने तक ...................
ईद
- में प्रकाशित
उस दिन ईदे फ़ित्र की नमाज़ इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम नहीं पढ़ा सके परन्तु पैग़म्बरे इस्लाम के प्रति जनता का प्रेम सिद्ध हो गया।
27 रजब पैग़म्बरे अकरम का ऐलाने नबूवत
- में प्रकाशित
-
- स्रोत:
- islam14
बेअसते पैग़म्बरे अर्थात पैग़म्बरे इस्लाम सलल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी की आधिकारिक घोषणा का दिन है। इस दिन ईश्वर ने अपनी कृपा व दया के अथाह सागर के माध्यम से मनुष्य को निश्चेतना और पथभ्रष्टता के अंधकार से निकाला।
माहे जमादीउल अव्वल की मुनासबते
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- (तहकीके जनाब अस् सैय्यद हैदर हुसैनी जलाली क़ुम्मी)
पैग़म्बरे इस्लाम (स) और इमाम सादिक़ (अ) के जन्म दिवस
- में प्रकाशित
पैग़म्बरे इस्लाम के प्रयास से ईश्वरीय धर्म इस्लाम के उदयकाल में अरब समाज में आमूल चूल परिवर्तन हुए। समाज में श्रेष्ठता का मापदंड बदल गया। पैग़म्बरे इस्लाम से पहले अरब समाज में धनी व पूंजीपति लोगों को बड़ा समझा जाता था, गोरे लोगों को काले व दासों पर श्रेष्ठता प्राप्त थी परंतु पैगम्बरे इस्लाम ने श्रेष्ठता के मापदंड को परिवर्तित कर दिया। पैग़म्बरे इस्लाम और ईश्वरीय धर्म इस्लाम की दृष्टि में श्रेष्ठ वह व्यक्ति है जिसका तक़वा अर्थात ईश्वरीय भय सबसे अधिक हो चाहे वह गोरा हो या काला धनी हो या निर्धन स्वतंत्र हो या दास।