ग़ुज़िश्ता पैग़म्बरों की पेशीनगोई
नबी को पहचानने का दूसरा रास्ता यह है कि उसके बारे में गुज़िश्ता नबी ने ख़बर दी हो । पैग़म्बरे इस्लाम (अ) ने भी जब अपनी नबूवत का ऐलान किया तो गवाही के तौर पर यह दलील पेश की कि मैं वही पैग़म्बर हूँ जिसका नाम तौरैत व इंजील में आया है लेकिन बहुत से यहूदियों और ईसाईयों ने न सिर्फ़ यह कि अपनी आसमानी किताबों की तरफ़ रुजू न किया और पैग़म्बरे इस्लाम (स) की हक़्क़ानियत को क़बूल न किया बल्कि इस्लाम व मुसलेमीन से बहुत सी जंगें लड़ीं, उन की किताबों में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के इस्में गिरामी के मौजूद होने के बारे में क़ुरआने मजीद में इरशाद होता है:
و اذ قال عیسی ابن مریم یا بنی اسرائیل انی رسول الله الیکم مصدقا لما بین یدی من التوراه و مبشرا برسول یاتی من بعدی اسمه احمد فملما جاءهم بالبینات قالوا هذا سحر مبین
याद करो उस वक़्त को जब ईसा (अ) बिन मरियम ने बनी इस्राईल से कहा: मैं तुम्हारी तरफ़ ख़ुदा का भेजा हुआ रसूल हूँ, तौरैत की तस्दीक़ करता हूँ और तुम्हें अपने बाद आने वाले पैग़म्बर की बशारत देता हूँ जिसका नाम अहमद है लेकिन जब वह पैग़म्बर मोजिज़ात और निशानियो के साथ आया तो उन लोगों (यहूदियों और ईसाईयों) ने कहा कि यह तो ख़ुला हुआ जादू है।
उन्हीं यहूदियों की नस्ल ‘’इसराईल’’ आज भी पूरी दुनिया में मुसलमानों के ख़िलाफ़ साज़िश में मसरूफ़ है और इस्लाम को तबाह करना चाहती है लेकिन जिस तरह से पैग़म्बर (स) के ज़माने में यहूदी कामयाब न हो सके। उसी तरह आज भी वह इस्लाम व मुसलेमीन के सामने ज़लील व बेबस नज़र आ रहे हैं।
ख़ुलासा
- सच्चे नबी को इन रास्तों से पहचाना जा सकता है : 1. मोजिज़ा 2. गुज़िश्ता पैग़म्बरों की पेशीनगोई
- मोजिज़ा वह काम है जिसको अंजाम देने से आम इंसान आजिज़ व नातवाँ होता है।
- अंबिया (अ) अपनी हक़्क़ानियत और आलमें ग़ैब से अपने राब्ते को साबित करने के लि यह ख़ुदा के हुक्म से मोजिज़ा दिखाते थे।
- गुज़िश्ता आसमानी किताबों में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के आने की बशारत दी गई है, इस सिलसिले में क़ुरआन में आयत भी मौजूद है।