अम्र बिल मारुफ़ और नही अनिल मुनकर
हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की विश्वव्यापी हुकूमत में अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर बहुत व्यापक पैमाने पर किया जायेगा।
“अम्र बिल मारूफ़” का अर्थ है लोगों को अच्छे काम करने के लिए कहना और “नही अनिल मुनकर” का अर्थ है लोगों को बुराइयों से रोकना।
इस बारे में कुरआने करीम ने भी बहुत ज़्यादा ताकीद की है और इसी वजह से इस्लामी उम्मत को मुंतख़ब उम्मत (चुना हुआ समाज) के रूप में याद किया गया है।[1]
इसके ज़रिये तमाम वाजेबाते इलाही पर अमल होता है.[2]. और इसको छोड़ना हलाक़त, नेकियों की बर्बादी और समाज में बुराइयों के फैलने का असली कारण है।
अम्र बिल मअरुफ़ और नही अनिल मुनकर का सबसे अच्छा और सबसे ऊँचा दर्जा यह है कि हुकूमत के मुखिया और उसके पदाधिकारी नेकियों की हिदायत करने वाले और बुराईयों से रोकने वाले हों।
हज़रत इमाम मुहम्मद बाकिर (अ. स.) ने फरमाया :
”اَلمَهدِي وَ اٴَصْحَابُهُ - يَاٴْمُرُوْنَ بِالمَعْرُوفِ وَ يَنْهَونَ عَنِ المُنْکِر“[3]
हज़रत इमाम महदी (अ. स.) और उनके मददगार अम्र बिल मअरुफ़ और नही अनिल मुनकर करने वाले होंगे।
बुराइयों से मुक़ाबला
बुराईयों से रोकना जो कि इलाही हुकूमत की एक विशेषता है, सिर्फ़ ज़बानी तौर पर नहीं होगा, बल्कि बुराईयों का क्रियात्मक रूप में इस तरह मुकाबला किया जायेगा, कि समाज में बुराई और अख़लाक़ी नीचता का वजूद बाक़ी न रहेगा और इंसानी ज़िन्दगी बुराईयों से पाक हो जायेगी।
जैसे कि दुआए नुदबा, जो कि ग़ायब इमाम की जुदाई का दर्दे दिल है, में बयान हुआ है
”اَيْنَ قَاطِعُ حَبَائِلِ الْکِذْبِ وَ الإفْتَرَاءِ، اَیْنَ طَامِسُ آثَارِ الزَّيْغِ وَ الأهوَاءِ” [4]
कहाँ है वह जो झूठ और बोहतान की रस्सियों का काटने वाला है और कहाँ है वह जो गुमराही व हवा व हवस के आसार को ख़त्म करने वाला है।
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[1] .सूरः ए आले इमरान, आयत न. 110
[2] . इस अहम वाजिब के बारे में हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ. स.) फरमाते हैं कि (”ان الامر بالمعروف و النھی عن المنکر ۔۔۔ فریضة عظیمة بھا تقام الفرائض“(امر بالمعروف اور نھی عن المنکر ۔۔۔) अम्र बिल मारुफ़ और नही अनिल मुनकर ऐसे वाजिबात हैं जिन के सबब तमाम वाजेबात का क़ायम है (मिज़ानुल हिकमत, मोतरज्जिम, जिल्द न. 8, पेज न. 3704)
[3] . बिहार उल अनवार, जिल्द न. 51, पेज न. 47
[4] . मफ़ातीह उल जिनान, दुआए नुदबा ।