लेख
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क़ुरआने करीम
लेख: 1, सारी कैटिगिरी: 5 -
अक़ीदे
सारी कैटिगिरी: 8 -
रसुले अकरम व अहले बैत
सारी कैटिगिरी: 16 -
हदीस
लेख: 1, सारी कैटिगिरी: 4 -
अहकाम
सारी कैटिगिरी: 8 -
इतिहास
सारी कैटिगिरी: 6 -
परिवार व समाज
सारी कैटिगिरी: 3 -
अख़लाक़ व दुआ
लेख: 16, सारी कैटिगिरी: 4 -
शेर व अदब
सारी कैटिगिरी: 2
ज़ैनब बिन्ते अली , कर्बला की नायिका
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैयद ताजदार हुसैन ज़ैदी
“हज़रत ज़ैनब, महिलाओं में सबसे अधिक महान और उनकी फ़ज़ीलत इससे कहीं अधिक है कि उसको बयान किया जा सके या क़लम उसके लिख सके”।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा
- में प्रकाशित
अथाह ज्ञान से संपन्न परिवार में जीवन ने उनके सामने ज्ञान के द्वार खोल दिए थे।
इमाम अली अ.स. एकता के महान प्रतीक
- में प्रकाशित
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- स्रोत:
- wilayat .in
जब इमाम अली अ.स. से एक यहूदी ने इमामत और ख़िलाफ़त पर आपत्ति जताते हुए कटाक्ष किया कि तुम लोगों ने अपने पैग़म्बर स.अ. को दफ़्न करने से पहले ही उनके बारे में मतभेद शुरू कर दिए, तो आपने जवाब दिया कि, हमारा मतभेद पैग़म्बर स.अ. को लेकर बिल्कुल नहीं था, बल्कि हमारा मतभेद उनकी हदीस के मतलब को लेकर था, लेकिन तुम यहूदियों के पैर दरिया से निकल कर सूखे भी नहीं थे और तुम लोगों ने हज़रत मूसा अ.स. से कह दिया था कि बुत परस्तों की तरह हमारे लिए भी ख़ुदा का प्रबंध करो और फिर जवाब में हज़रत मूसा अ.स. ने तुम लोगों के बारे में कहा था कि तुम लोग कितने जाहिल और अनपढ़ हो।
इस्लाम की पहली शहीद खातून
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी
जिस वक्त अबुजहले लानती जनाबे सुमय्या के सीने मे नेज़ा मार रहा था तो जनाबे सुमय्या फख्र के साथ ये जुमला कह रही थी हमने अपने रास्ते को पा लिया और मौहम्मद (स.अ.व.व) पर ईमान ले आऐ और उनकी रहबरी को क़ुबुल कर लिया और कभी अपने ईमान और मकसद को खत्म नही होने देंगे।
इमाम अली की निगाह मे कसबे हलाल की जद्दो जहद
- में प्रकाशित
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- लेखक:
- नजमुल हसन कर्रारवी
- स्रोत:
- चौदह सितारे
आपके नज़दीक कसबे हलाल बेहतरीन सिफ़त थी। जिस पर आप खुद भी अमल पैरा थे।
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा उम्महातुल मोमिनीन की नज़र में
- में प्रकाशित
ख़ुदावन्दे आलम ने बज़्मे इंसानी के अंदर हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से बेहतर किसी को ख़ल्क नहीं फरमाया।
अल्लाह तआला ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स. को हमारे लिए आइडियल क्यूं बनाया है?
- में प्रकाशित
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- स्रोत:
- wilayat.in
आपने हज़रत अली अ. से वसीयत की थी कि आपको रात में ग़ुस्ल दें, रात में कफ़न पहनाएं और रात ही में दफ़्न करें और जिन लोगों नें उन्हें दुख पहुँचाया था उनको जनाज़े में (अंतिम संस्कार) न आने दें
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा का मरसिया
- में प्रकाशित
जैसे ही पैग़म्बरे इस्लाम ने इस संसार से अपनी आखें मूंदी, मुसीबतें आना आरम्भ हो गईं, और इन मुसीबतों का सिलसिला एक के बाद एक बढ़ता ही चला
जनाबे फ़ातेमा ज़हरा के दफ़्न के मौक़े पर इमाम अली का खुत्बा
- में प्रकाशित
मेरी तरफ़ से और आपकी उस दुख़्तर की तरफ़ से जो आपके जवार में नाज़िल हो रही है और बहुत जल्दी आप से मुलहक़ हो रही है।
जनाबे ज़हरा(स)की सवानेहे हयात
- में प्रकाशित
उन की शख़्सियत पर रिसालत को नाज़ है और मुख़्तसर यह कि उन पर शीईयत को नाज़ है।